दिवाली आते ही सर्दी की शुरुआत हो जाती है. इन सर्दियों में दिवाली पर जब घर पर ही मिठाईयां और पकवान बनाने हों तो क्यों न कुछ ऐसा बनाएं जो आपके परिवार को ठंडे मौसम में सर्दी से भी राहत दे और आपका त्यौहार भी स्पेशल बना दे.
ओमेगा-3 और ओमेगा-6 से भरपूर अलसी, शरीर के कोलोस्ट्रोल को नियंत्रित करता है. यह इतना गुणकारी है कि इसके आगे अखरोट और बादाम भी कमतर हैं.
स्वादिष्ट अलसी की पिन्नीयां सर्दी, जुकाम, खांसी और जोइंट्स पैन को दूर करती है और आपकी दिवाली को हेल्थी दिवाली भी बनाती है. आइए बनाते हैं ‘अलसी की पिन्नी’….
इसके लिए आपको चाहिए….
– 500 ग्राम ( 4 कप) अलसी
– 500 ग्राम ( 4 कप) गेहूं का आटा
– 500 ग्राम ( 2/1/2 कप) देशी घी
– 800 ग्राम ( 4 कप) गुड़ या चीनी
– 100 ग्राम काजू
– 100 ग्राम बादाम
– 1 टेबल स्पून पिस्ता
– 1 टेबल स्पून किशमिश
– 100 ग्राम गोंद
– 15 इलाइची (पाउडर बना लें)
ऐसे बनाएं…
-अलसी को कढ़ाई में डाल कर रोस्ट कर लें, अच्छे से रोस्ट को जाने के बाद इसे मिक्सी से पीस लें. थोड़ा दरदरा पीस कर अलग कर लें.
-अब गेंहू के आटे को, कढ़ाई में घी डाल कर ब्राउन होने तक भून लें.
-फिर गोंद को बारीक तोड़ कर बचे हुए घी में तल लें. जब गोंद अच्छे से फूल जाए तो इसे उतार लें. ठंडा होने पर तले हुए गोंद को चकले पर या किसी थाली में बेलन की सहायता से दबा दबा कर पीस लें.
-अब जो घी बचा हुआ है उसमें पिसी हुई अलसी को डाल दें और कलछी से चलाते हुए धीमी आग पर महक आने तक भून लें.
-सारे मेवे, काजू, बादाम और पिस्ते छोटा छोटा काट लें.
-गुड़ या चीनी की मात्रा का आधा पानी मिलाकर कढ़ाई में डाले और चाशनी बनाएं. 1 तार की चाशनी तैयार होने तक बनाते रहें. (चाशनी के टैस्ट के लिये चमचे से 1 बूंद चाशनी प्याली में गिरायें और ऊंगली अंगूठे के बीच चिपका कर देंखें कि जब ऊंगली और अंगूठे को अलग करें तो चाशनी से तार निकलना चाहिये).
-चाशनी में भुना आटा, भुनी अलसी, काटे हुये मेवे, गोंद और इलाइची डाल कर अच्छी तरह मिला लें. हल्का गरम रहने पर हाथ से थोड़ा-थोड़ा मिश्रण निकाल कर लड्डू बनाकर थाली में रखते जाएं.
-अगर आप बरफी जमाना चाहते हैं तब आप गरम मिश्रण को घी से ही चिकनी की थाली में डाले और एकसार करके जमा दें. आधा घंटे या बरफी के जमने के बाद अपने मन पसन्द टुकड़ों में काट लें.
लीजिए, अलसी की पिन्नी तैयार हैं. खाइए और बची हुई पिन्नीयां एअर टाइट कन्टेनर में भर कर रख लें. जब भी मन को खाएं और खिलाएं.