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मधुमेह रोगियों के लिए घर का खाना ही बेस्ट है

डायबिटीज में मरीजों को खान-पान का खास ध्यान रखने के लिए कहा जाता है जिसके चलते वह पैकेट बंद खाद्य पदार्थो को अपने आहार में शामिल करने लगते हैं लेकिन हालिया हुए एक शोध में विशेषज्ञों ने इस तरह के भोजन को डायबिटीज मरीजों के लिए खतरनाक बताया है. पैकेट बंद और रेस्तरां में खाया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 13, 2015 7:51 PM

डायबिटीज में मरीजों को खान-पान का खास ध्यान रखने के लिए कहा जाता है जिसके चलते वह पैकेट बंद खाद्य पदार्थो को अपने आहार में शामिल करने लगते हैं लेकिन हालिया हुए एक शोध में विशेषज्ञों ने इस तरह के भोजन को डायबिटीज मरीजों के लिए खतरनाक बताया है.

पैकेट बंद और रेस्तरां में खाया जाने वाला फास्ट फूड भोजन की गुणवत्ता को कम कर देता है जो बच्चों और बड़ो के बॉडी वेट को ही नहीं बल्कि कई बिमारियों को भी न्योता देता है. ऐसा भोजन डायबिटीज के मरीजों के लिए घातक हो सकता है, एक शोध के अनुसार यह दिल की बिमारियों के खतरे को बढ़ाने का बड़ा भी एक कारण है.

इस तरह की डाइट से डायबिटीज मरीजों को बचना चाहिए. टाइप-2 डायबिटीज़ के खतरे को कम करने के लिए दवाइयों के साथ-साथ अगर थोड़ी सावधानियों का भी ध्यान रखा जाए, तो उसे कम किया जा सकता है. एक अध्ययन से पता चला है कि घर का बना खाना टाइप-2 डायबिटीज़ के खतरे को कम कर देता है.

बॉस्टन के हार्डवर्ड टीएच चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के ज़ेंग जॉन्ग का कहना है कि रेस्तरां में जाकर फूड खाना और पैक करवाकर ले जाने के ट्रेंड में पिछले 50 सालों में काफी वृद्धि हुई है.

वह लोग जो दिन में घर के बने दो मील खाते हैं और एक हफ्ते में तकरीबन 11-14 मील लेते हैं उनमें टाइप-2 डायबिटीज़ का खतरा एक हफ्ते में घर के बने छह मील से भी कम लेने वाले लोगों के मुकाबले 13 प्रतिशत कम होता है.

अध्ययन में 58,000 महिलाएं और 41,000 से भी ज़्यादा पुरुषों को शामिल किया गया. शोध की शुरुआत में इनमें से किसी भी प्रतिभागी को डायबिटीज, दिल से संबंधित बीमारी और कैंसर जैसी कोई समस्या नहीं थी.

शोधकर्ताओं ने परिक्षण द्वारा साबित किया कि मध्यम आयु वर्ग और पुराने स्वास्थ्य प्रोफेशनल्स में घर के बने खाने से इन आठ वर्षों में कम वजन बढ़ा. दिल से जुड़ी बिमारियों और टाइप-2 डायबिटीज़ के लिए मोटापा और वज़न बढ़ना दो मुख्य कारण हैं.

यह रिसर्च अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन साइंटिफिक सेशन में प्रकाशित हुई थी.

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