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कौन-सा दूध है बेहतर?

मोटापे से बचने के लिए लड़कियां अक्सर मक्खन, चीज़ और फ़ुल क्रीम दूध को अपनी डाइट से कोसो दूर रखती हैं. वैसे भी बेहतर स्वास्थ्य के लिए इन चीजों का सेवन कम करना ही उचित माना जाता है. डॉक्टर्स का कहना है कि डेयरी प्रोडक्ट्स का अत्यधिक सेवन करने से धमनियों में वसा जमा होने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 15, 2015 10:56 PM

मोटापे से बचने के लिए लड़कियां अक्सर मक्खन, चीज़ और फ़ुल क्रीम दूध को अपनी डाइट से कोसो दूर रखती हैं. वैसे भी बेहतर स्वास्थ्य के लिए इन चीजों का सेवन कम करना ही उचित माना जाता है.

डॉक्टर्स का कहना है कि डेयरी प्रोडक्ट्स का अत्यधिक सेवन करने से धमनियों में वसा जमा होने लगता है जिसके कारण दिल से सम्बंधित बीमारियां होने का खतरा बना रहता है. आइए जानते हैं वास्तविकता क्या है?

डॉक्टर्स इस बात को लगातार कहते आएं है कि मक्खन, चीज़ और फ़ुल क्रीम वाले दूध में मौजूद सैचुरेटेड फैट, मानव शरीर के रक्त में कैलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ाते हैं जो हार्ट अटैक होने की आशंका बढ़ाता है.

जिसकी वजह से डॉक्टर्स लोगों को भोजन में कृत्रिम मक्खन और वेजिटेबल ऑयल के इस्तेमाल की सलाह देते हैं, जिनमें पॉली अन-सैचुरेटेड फैट्स होते हैं जो नुकसान नहीं पहुंचाते.

लेकिन हालिया हुए एक अध्ययन के अनुसार, एनल्स ऑफ़ इंटरनल मेडीसिन की एक समीक्षा में कहा गया है कि सैचुरेटेड फैट से हृदय रोग पर कोई असर नहीं पड़ता.

हालाकि यह एक विश्लेषणात्मक अध्ययन था, लेकिन शोधकर्ताओं ने इस मामले पर प्रयोग किया. इसमें हिस्सा लेने वाले लोगों को आठ सप्ताह तक लगातार 27% फ़ैट वाला चीज़ खिलाया गया. प्रयोग के बाद देखा गया कि इन लोगों में कोलेस्ट्रोल का स्तर ज़ीरो फैट का खाना खाने वाले लोगों से कम था.

इन अध्ययनों में चौंकाने वाली बात ये रही कि फ़ुल क्रीम वाले दूध और मक्खन में ज़्यादा कैलोरी होने के बाद भी जो लोग इसका इस्तेमाल करते हैं, उनमें सेमी स्किम्ड दूध वाले की तुलना में मोटापे से ग्रस्त होने की आशंका कम होती है.

यही नहीं, कई अलग-अलग 12 अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि ज़्यादा कैलोरी वाले दूध का सेवन करने वाले लोग कहीं ज़्यादा दुबले पतले पाए गए हैं.

इस बात की भी संभावनाएं हो सकती हैं कि वसा भी मेटाबॉलिज्म को रेगुलेट करती हो, जिससे शरीर कहीं ज़्यादा कैलोरी बर्न करता हो.

ये भी हो सकता है कि फ़ुल क्रीम वाले डेयरी उत्पाद लंबे समय तक भूख नहीं लगने देते. इसके चलते संभव है कि लोग नुकसानदायक स्नैक्स कम खाते हों.

ऐसे में ज़ाहिर है कि हमें इसकी वजह मालूम नहीं है लेकिन सभव है कि फ़ुल क्रीम दूध भी आपको पतला रखा सकता हो.

यह माना जाता है कि पेश्चराइज़्ड दूध के इस्तेमाल से एक्जीमा, अस्थमा और प्रतिरोधी संबंधी मुश्किलें हो सकती हैं. लेकिन यह पूरी तरह सच नहीं है.

दरअसल, दूध को पेश्चराइज़ करने में कई उपयोगी पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं, जिनमें एलर्जी से बचाव करने वाला प्रोटीन भी शामिल होते है.

यही नहीं, दूध को पेश्चराइज़ करने के दौरान कई ऐसे रोगाणु भी नष्ट हो जाते हैं, जो हमारे पाचन तंत्र को बेहतर बनाते हैं, प्रतिरोधी क्षमता को बेहतर करते हैं और कैंसर से हमारी सुरक्षा करते हैं.

हालाकि कई चिकित्सकों का मानना है कि यह अपरिपक्व सोच है. उनका मानना है कि पेश्चराइज़ करने के दौरान दूध को थोड़ा गर्म किया जाता है, लेकिन उसमें सभी पोषण बने रहते हैं.

जबकि नेचुरल दूध से कुछ लोगों को एलर्जी भी होती है, लेकिन यह क्यों है इसका कोई सही कारण नहीं मिल सका है.

ये स्पष्ट है कि कच्चा दूध पीना ख़तरनाक हो सकता है. इससे टीबी और पेट संबंधी रोग, यानी ई कोलाई या सालमोनेला जैसी बीमारियों का ख़तरा बढ़ सकता है, यानी पेश्चराइज़्ड दूध पीना ज़्यादा फ़ायदेमंद है.

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