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जुरांग टाउन कॉरपोरेशन : यह नाम, इसका काम जानिए!

सिंगापुर से लौट कर हरिवंश सिंगापुर-5 मूल नाम जुरांग टाउन कॉरपोरेशन. अब जेटीसी कॉरपोरेशन के रूप में जाना जाता है. 32 वर्ष पहले दलदल साफ करने, जमीन समतल व रिहायशी बनाने के लिए इसका गठन हुआ. इसका काम कुछ-कुछ रांची म्युनिसिपल कॉरपोरेशन और रांची क्षेत्रीय विकास प्राधिकार (आरआरडीए) जैसा, हालांकि जुरांग टाउन कॉरपोरेशन का नाम […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 28, 2015 2:48 PM
सिंगापुर से लौट कर हरिवंश
सिंगापुर-5
मूल नाम जुरांग टाउन कॉरपोरेशन. अब जेटीसी कॉरपोरेशन के रूप में जाना जाता है. 32 वर्ष पहले दलदल साफ करने, जमीन समतल व रिहायशी बनाने के लिए इसका गठन हुआ. इसका काम कुछ-कुछ रांची म्युनिसिपल कॉरपोरेशन और रांची क्षेत्रीय विकास प्राधिकार (आरआरडीए) जैसा, हालांकि जुरांग टाउन कॉरपोरेशन का नाम लेना उसका अपमान है. जुरांग टाउन कॉरपोरेशन की शुरुआत इनसे भी मामूली ढंग से हुई. पर आज जेटीसी कॉरपोरेशन आर्किटेक्चर, लेंडस्केप, प्लानिंग और कंसल्टेंशी में दुनिया की चुनी हुई कंपनियों में से है. यह यात्रा ऐसी है, मानो आरआरडीए दुनिया की सबसे बड़ी बहुराष्ट्रीय कंस्ट्रक्शन कंपनी या कंसलटेंट बन जाये. मनुष्य की प्रतिबद्धता, ऊर्जा, संकल्प और देश प्रेम की यह अद्भुत कहानी हैं.
जेटीसी का अब काफी प्रसार हो गया है. यह मूलत: सरकारी है. भारतीय भाषा में सार्वजनिक क्षेत्र. बहुत वर्षों पहले समुद्र को बेहतर बना कर उस पर जुरांग टाउन बसा दिया. उस दलदल पर बसे जुरांग की अद्भुत बिल्डिंग, सड़क और दृश्य आपको आश्चर्यचकित कर देते हैं. जेटीसी ने अपने काम से नाम कमाया, तो उसकी शाखाएं फैलीं. रिसर्च व डेवलपमेंट के लिए साइंस पार्क, हाईटेक उद्योगों के लिए सिंगापुर का पहला बिजनेस पार्क, केमिकल उद्योग के लिए जुरांग आइसलैंड का निर्माण. इस आइसलैंड का निर्माण बिल्कुल परीकथाओं जैसा है. योजना यह बनी थीं कि 2030 तक समुद्र से 3000 एकड़ जमीन निकाल कर दुनिया की सबसे बड़ी केमिकल कंपनियों को एक जगह आबाद किया जाये. मशहूर कंपनियों ने जब यह सुना, तो वे सिंगापुर पर दबाव डालने लगीं कि इतने वर्षों का समय बहुत लंबा है. 35-40 वर्षों का यह काम 4-5 वर्षों में होना चाहिए. रात दिन लग कर सिंगापुर ने वह कमाल दिखा दिया. 14 अक्तूबर 2000 को इसका उद्घाटन हुआ. 21 बिलियन डॉलर निवेश से यह बना है. पेट्रोलियम, पेट्रोकेमिकल्स व केमिकल से जुड़ी दुनिया की 60 बड़ी कंपनियां यहां हैं. अन्य साथियों की तरह मैं भी स्तब्ध हूं. हम रोज गाते हैं कि रांची म्युनिसिपल कॉरपोरेशन या आआरडीए जैसी संस्थाएं बहुत पुरानी व प्रोफेशनल हैं. पीडब्लूडी जैसे विभाग अंगरेजों के समय से हैं. अब समझने की जरूरत है कि यह गौरव गीत नहीं, शोक गीत या शर्म गीत है. सफाई, आर्किटेक्चर, भविष्य के कारखाने, भवन, चौराहों, सार्वजनिक भवनों के निर्माण, पार्क या पुल बनवाने में दुनिया स्तर पर हमारी संस्थाएं कहां हैं? कहां खड़े हैं हमारे सरकारी इंजीनियर, आर्किटेक्ट व नौकरशाह? सिर्फ घूस, कमीशन, गलत निर्माण, गंदगी बगैरह के लिए हमारी सैकड़ों वर्ष पुरानी संस्थाओं ने ख्याति पायी. बदलती दुनिया में ये डेड और बोझ बन गयी हैं, हम जितना जल्द यह समझ सकें, बेहतर होगा.
अति मामूली से विराट बनने के पीछे का कारण? जेटीसी के एक बड़े अफसर कहते हैं, अपने कस्टमर के लिए डेअर टू ड्रीम (सपना देखने का साहस) और डेअर टू ट्राई (पहल का साहस) जेटीसी के लोगों (प्रतीक) का तात्पर्य बताते हैं. बदलते माहौल के अनुरूप तत्काल रणनीति और कस्टमर की इच्छानुसार काम, जेटीसी पर्याय बन गया है, सिंगापुर के वर्ल्ड कलास इंडस्ट्रीयल इन्फ्रास्ट्रक्चर का पिछले दिनों सिंगापुर के उप प्रधानमंत्री बिग्रेडियर जनरल ली लूंग ने यहां कहा कि ग्लोबलाइजेशन और टेक्नॉलाजी पूरी तरह कामकाज की जगह व लैंडस्कैप को बदल रहे हैं. कंपनियों को बाध्य कर रहे हैं कि व्यवसाय करने के पुराने बुनियादी रास्ते वे छोड़ दें. सार्वजनिक क्षेत्रों को इस चुनौती के अनुरूप काम करना होगा व खुद बदलना होगा?
और आश्चर्य कि सरकारी जेटीसी की शाखाएं दुनिया के 15 देशों में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए वर्ल्ड क्लास काम कर रही हैं. आश्चर्य होता है कि सरकारी कंपनियों के दिन जब दूसरे देशों में खत्म हो रहे हैं, तब सिंगापुर की सरकारी कंपनियां दुनिया की सर्वश्रेष्ठ बहुराष्ट्रीय कंपनियों और बाजारवाद की अगुवाई कर रही है. यह है प्रतिभा, समर्पण और श्रम का चमत्कार और एक जेटीसी नहीं है. ऐसी अनेक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां हैं, सिंगापुर में नेशनल साइंस एंड टेक्नोलॉजी बोर्ड, पब्लिक यूटिलिटी बोर्ड, सिंगापुर टेलकाम का निजीकरण हुआ है. बाकी सरकारी कंपनियों ने निजी कंपनियां खोल कर काम का विस्तार किया है. पर सिंगापुर के विकास में ड्राइविंग सीट पर सरकारी कंपनियां ही हैं. भारत की बिकती सरकारी कंपनियां और पंडित नेहरू का सपना, आधुनिक भारत के मंदिर, मसजिद व गिरजाघर, याद आते हैं. यह सपना कैसे टूटा? कौन दोषी है? राजनीतिज्ञ, अफसर, मजदूर नेता, प्रबंधन, मजदूर, कामचोरी, घूसखोरी, चोरी की संस्कृति सरकारी संपत्ति को पराया समझने का मानस, देश के प्रति बीतरागी बोध या हमारा अकर्म या अपौरुष यह सब? लगता है कि विचार, बेचैन नहीं करते, तो कितना सुखकर होता?
जेटीसी की इफीशियंसी (कार्यकुशलता)? इसका एक विंग है, जेटीसी हाउस डेवलपमेंट ग्रुप. विश्व से आयी प्रतिभाओं को रहने के लिए घर तीन माह की प्रतीक्षा के बाद मिलता था. अब एक दिन में.
1968 में जेटीसी की शुरुआत हुई, सिंगापुर में औद्योगिक भूमि और सुविधाओं के प्रबंध के लिए. इसमें मल्टी डिसिप्निन एक्सपर्ट्स हैं. टाउन पुनर्निमाण, मास्टर प्लानिंग, पर्यावरण प्रौद्योगिक, बिल्डिंग एंड इस्टेट मैनेजमेंट, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट व फाइनेंशियल मैनेजमेंट, 30 वर्षों में 11 देशों में 100 कंस्लटेंसी प्रोजेक्ट इस कंपनी ने किये हैं. चीन, भारत, इंडोनशिया, मलयेशिया, फिलीपींस, ताइवान, थाईलैंड, अरब खाड़ी देश, वियतनाम, यमन जेटीसी इंटरनेशनल एशिया में 20 इंडस्ट्रीयल पार्क बना रहा है. बताया गया कि इसके तीन कोर बिजनेस (मूल काम) हैं, इंडस्ट्रियल पार्क बनाया, कंस्लटेंसी व ऊर्जा पर्यावरण, जेटीसी सिंगापुर का सबसे बड़ा इंडस्ट्रियल लैंडलार्ड और डेवलपर कहा जाता है. 35 इंडस्ट्रियल स्टेट इसकी देखरेख में हैं, जहां विश्व प्रसिद्ध 7000 कंपनियां हैं.
एक छोटी कंपनी विजन, कर्म और प्रतिबद्धता से कहां पहुंच सकती है? जेटीसी इसका उदाहरण है. सिंगापुर में ऐसी कोई सरकारी कंपनियां हैं. क्यों भारत जैसे विशाल देश में एक जेटीसी जैसी कंपनी खड़ी नहीं हो पाती? सिंगापुर एयरलाइंस जैसा एयर इंडिया नहीं बन पाता? एयर इंडिया में एक जहाज के पीछे 400 से अधिक आदमी. वहां 20 से कम, फिर भी वह वर्ल्डक्लास एयर लाइंस हैं. हमारी कहीं गणना नहीं है. एयर इंडिया के खरीदार ढूंढ रहे हैं. असंख्य उदाहरण हैं. क्या इस अपने हाल पर आत्मविश्लेषण के लिए तैयार हैं?

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