यह बेहद चौकाने वाली बात है कि फेफड़ों का कैंसर अब केवल धूम्रपान करने वाले लोगों तक ही सीमित नहीं है बल्कि अब यह उन लोगों में भी देखा जा सकता है जिन्हें सर्दी-जुकाम जैसी मौसमी बीमारियाँ बहुत ज्यादा और लम्बे समय तक होती हैं.
यही नहीं ताज्जुब की बात यह भी है कि पूरे विश्व में फेफड़ों के कैंसर से पीड़ितों में सबसे अधिक संख्या भारतीय पुरुषों की है जिसकी सबसे बड़ी वजह समय रहते इलाज न मिल पाना है. आने वाले समय में इसका असर महिलाओं में भी देखने को मिल सकता है जिसका सबसे बड़ा कारण शायद जटिल रूप से जुकाम से पीड़ित रोगियों में देखने को मिल सकता है.
इसी के चलते कई देशों के डॉक्टरों और वैज्ञानिकों की टीम इस बीमारी के कारणों को खोजने में लगी हुई है.
विशेषज्ञों का मानना है कि अधिक समय तक रहने वाली जटिल सर्दी, बलगम और कफ होने पर इसे नजरअंदाज न कर डॉक्टर से संपर्क कर टेस्ट करा लेने चाहिए.
भारत में जागरूकता की कमी की वजह से लोग अक्सर मौसम को जिम्मेदार बताते हुए हल्दी दूध और घरेलू नुस्खों को आजमाते हैं जो इन बीमारियों के बढ़ने की मुख्य वजह बनता है. जिसकी वजह से बीमारी बढती जाती है.
विशेषज्ञों के अनुसार, सिगरेट में निकोटीन, कोकीन, हेरोइन और 4000 से ज्यादा केमिकल्स मौजूद होते हैं, जिनमें 50 केमिकल्स कैंसर के कारक होते हैं. ये फेफड़ों को बुरी तरह प्रभावित करते हैं.
डॉक्टर्स कहते हैं, सिगरेट का धुआं सबसे पहले सांस की नली के उन बालों को नष्ट कर देता है जो कीटाणुओं और अन्य कणों को अंदर जाने से रोकते हैं. इसके बाद कफ को बाहर फेंकने वाली श्वास नली जाम हो जाती है. कफ को हल्के में नहीं लेना चाहिए यह कैंसर का शुरुआती लक्षण हो सकता है.