ज्यादातर पैरेंट्स बच्चों से कहते हैं कि वे आराम से खाएं, खाना निगलें नहीं बल्कि उसे धीरे-धीरे चबाएं. लेकिन फिर भी बच्चे और बड़े सभी बड़े-बड़े निवाले खा कर पेट भर लेते हैं जिसका परिणाम होता है मोटापा और शरीर को पोषण न मिल पाना.
धीरे-धीरे और चबा कर खाने की सलाह से यह सवाल उठता है कि क्या खाने की आदत जिसमें निवाले या कौर का आकार, उसे चबाना और जल्दी से निगलना शामिल हैं, क्या सच में वजन बढ़ने या मोटापे से संबंधित हैं? और क्या यह पुरानी कहावत सच है कि एक निवाला 32 बार चबाने से आपका वजन कम होगा?
वजन पर नियंत्रण रखने के लिए खाने को धीरे-धीरे और कई बार चबाने की सलाह का क्या कोई वैज्ञानिक आधार है?
हमें खाना खाते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, इससे जुड़ी कई कहावतें, मिथक और सलाहें दुनियाभर में प्रचलित हैं. इनमें से कुछ में पुरानी बातें भी हैं, जैसे – खाना हाथ से खाना चाहिए या छुरी कांटे से.
कुछ बातें खाते समय आवाज से जुड़ी हैं तो कुछ भोजन करते समय मुंह बंद रखने या खाना गिराने से संबंधित हैं. खाना खाते समय महिलाओं को ‘सभ्य’ दिखने की बातें भी इनमें शामिल हैं.
कुछ लोग यह सोच सकते हैं कि यदि खाना न पचे तो वह शरीर को लगेगा ही नहीं और इस तरह वजन नियंत्रित हो सकता है! और यह उनके हिसाब से सही है. लेकिन ऐसा नहीं है
खाने को धीरे-धीरे और कई बार चबाना वजन नियंत्रित रखने की रणनीति के तौर पर दशकों से आजमाया जाता रहा है. मूल रूप से यह विचार चिकित्सा के क्षेत्र से निकला है. 1926 में एक डॉक्टर लियोनार्ड विलियम्स ने मोटापे पर एक किताब लिखी थी.
उन्होंने लिखा है कि पेट में ‘दांतों द्वारा महीन किया हुआ’ और ‘लार से भरा हुआ’ भोजन पहुंचना चाहिए ताकि वह ठीक से काम कर सके.
जब वजन घटाने की बात होती है तो हालिया दशकों में यह सलाह काफी आम हो चुकी है कि खाना अच्छे से चबाना चाहिए या फिर सीधे यह सलाह दी जाती है कि खाना कितनी बार चबाना चाहिए.