शायद ये चौकाने वाली बात लगे लेकिन ये सच है. पिछले कुछ सालों में मेलरिया ने विश्व की सबसे जानलेवा बिमारियों में स्थान ले लिया है. अफ्रीका में प्रतिवर्ष 90% मौतें मलेरिया से होती है. यही नहीं, दुनियाभर में हर साल 20 करोड़ लोग इससे संक्रमित होते हैं और करीब चार लाख तीस हजार लोगों की इससे मौत हो जाती है.
मेलरिया से बचने और इसके इलाज के लिए हर साल अरबों रुपया खर्च किया जाता है लेकिन इसके बढ़ते प्रकोप को देखते हुए वैज्ञानिकों ने इसकी जड़ यानी मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों से निपटने के बारे में सोचा है और इसी के चलते हालिया हुई एक रिसर्च सामने आई है.
ताज़ा रिसर्च के अनुसार, मच्छरों से निपटने के लिए आनुवंशिक रूप से परिवर्तित (जेनेटिकली मोडिफाइड) मच्छरों की मदद ली जाएगी.
इसके लिए वैज्ञानिकों ने बांझ बनाने के लिए मलेरिया के कारक मच्छरों को आनुवंशिक रूप से परिवर्तित किया है. जी.एम मच्छर तेजी से अन्य मच्छरों में यही बांछपन फैला देंगे. जिससे इस घातक बीमारी के प्रसार में कमी लाई जा सकेगी.
शोधकर्ताओं ने मलेरिया परजीवी वाहक एनोफिलिस गैम्बिए प्रजाति के मच्छरों के जीन को परिवर्तित कर मादा मच्छरों के अंडा प्रजनन को रोक दिया है. कुछ दिनों बाद यह जीन अन्य मच्छरों में फैल जाएगा.
शोधकर्ताओं ने बताया कि कुछ ही सालों में मलेरिया के मच्छरों की प्रजाति में भारी कमी आ सकती है या कुछ स्थानों से ये खत्म हो सकते हैं.
मलेरिया नियंत्रण के लिए विकसित यह नई विधि एक महत्वपूर्ण कदम है.