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हाई फैट डाइट यानी ‘हार्ट-अटैक’

हाई फैट यानी मोटापे से लेकर कोलेस्ट्रॉल जैसे कई हानिकारक प्रभाव. यही नहीं इसका अत्यधिक सेवन हार्ट फेल भी कर सकता है. हालिया हुए एक शोध के अनुसार, रेड ब्लड सेल्स (लाल रक्त कोशिकाओं) पर हाई फैट डाइड के नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं जिसकी वजह से दिल से जुड़ी बीमारियाँ होती हैं. अमेरिका में सिनसिनाटी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 11, 2015 8:17 PM

हाई फैट यानी मोटापे से लेकर कोलेस्ट्रॉल जैसे कई हानिकारक प्रभाव. यही नहीं इसका अत्यधिक सेवन हार्ट फेल भी कर सकता है.

हालिया हुए एक शोध के अनुसार, रेड ब्लड सेल्स (लाल रक्त कोशिकाओं) पर हाई फैट डाइड के नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं जिसकी वजह से दिल से जुड़ी बीमारियाँ होती हैं.

अमेरिका में सिनसिनाटी कॉलेज ऑफ मेडिसन यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों के अनुसार,लंबे समय तक कैलोरी की ज़्यादा मात्रा मोटापे का शिकार बना देती हैं, हाई-फैट डाइट दुनियाभर में महामारी है, जो हेल्थ के लिए सबसे बड़े खतरे के रूप में सामने आ रही है.

शोध में उन्होंने जांच की कि कैसे हाई फैट डाइट लाल रक्त कोशिकाओं को काम करने से रोकती है.हाई-फैट डाइट के लाल रक्त कोशिओं पर पड़ने वाले प्रभाव से हृदय संबंधित रोग हो सकते हैं.

इसके लिए शोधकर्ताओं ने 12 हफ्तों तक जानवरों के एक समुह को हाई-फैट डाइट दी और प्रोटीन की बढ़ती मात्रा को देखा. इस दौरान उन्होंने पाया कि लाल रक्त कोशिकाओं को सीमित कर सफेद रक्त कोशिकाओं की मात्रा बढ़ी है. यह सफेद रक्त कोशिकाएं मैक्रोफेज़ के नाम से भी जानी जाती हैं, जो कि स्वस्थ शरीर की कोशिकाओं की सतह से सेलुलर डब्री (कोशिकीय अवशेष), बाहरी तत्व, माइक्रोब्स, कैंसर सेल और वह सब जो प्रोटीन का प्रकार नहीं है, खाते हैं. यही नहीं, यह आर्ट्री को काम करने से रोकने और अथेरोस्क्लेरोसिस में भी हिस्सेदार हैं.

विशेषज्ञों ने बताया, “हाई-फैट डाइट खाने वाले जानवरों की लाल रक्त कोशिकाओं की कोशिकाओं की झिल्ली में कोलेस्ट्रॉल और फोस्फेटिडीलसेरिन स्तर बढ़ा हुआ देखा गया. फोस्फेटिडीलसेरिन एक फॉस्फोलिपिड झिल्ली है, जो कि कोशिकीय चक्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.

इन परिणामों के अलावा भी कई स्वास्थ्य संबधी रोग होने के चांस बनते हैं. जैसे कैंसर, जिन लोगों को पहले से हृदय संबंधी समस्या है, उनकी संभावना होती है. इससे निपटने का तरीका सिर्फ इसका का पता लगाकर सही उपचार करना है.

यह निष्कर्ष जरनल सर्कुलेशन में प्रकाशित हुए हैं.

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