अक्सर कुछ भी खा लेने से अल्सर जैसी समस्याएं हो जाती हैं. अल्सर उस समय बनते हैं जब खाने को पचाने वाला अम्ल आमाशय की दीवार को नुकसान पहुंचाता है. अल्सर के लिए हेलिकोबैक्टर पायलोरी या एच. पायलोरी नामक जीवाणु जिम्मेदार होता है.
अल्सर बिगड़ने पर पेट में घाव हो जाते हैं जिससे मौत होने की भी सम्भावना बनी रहती है. अल्सर होने पर मितली आना, उल्टी आना, गैस बनना, पेट फूलना, भूख न लगना और वजन कम होने जैसी समस्यायें होने लगती हैं.
लोगों का अधिक खाना जिस तरह से अल्सर का कारण हो सकता है उसी तरह से ‘ज्यादा खाने की आदत’ भी अल्सर का इलाज कर सकती है. कैसे? आइए आपको बताते हैं…
भूख को नियंत्रित करने वाले हार्मोन घ्रेलिन अब अल्सर का इलाज करेगा. इससे जुड़े तथ्यों को अभी हाल ही में हुए एक शोध द्वारा बताया गया है.
इस शोध क अनुसार, भूख बढ़ाने वाले घ्रेलिन हार्मोन की सहायता से, आसानी से न ठीक होने वाले अल्सर व गैंग्रिन जैसी धमनियों से जुड़ी बीमारियों का इलाज किया जा सकेगा.
शोधकर्ताओं के दल ने क्रिटिकल लिंब इसेमिया (सीएलआई) पर शोध के दौरान यह पता लगाया है. सीएलआई में खून के बहाव में रुकावट आ जाती है और अंग को काटना पड़ता है. देखने में आया है कि इस तरह के अधिकतर मामलों में 5 साल के अंदर मरीज की मौत हो जाती है.
यूनिवर्सिटी ऑफ ओटागो के शोधकर्ता के अनुसार, ‘हमारे शोध से भविष्य के लिए एक रास्ता खुला है. हम सीएलआई के इलाज में हार्मोन घ्रेलिन की भूमिका के बारे में अध्ययन कर रहे हैं.’
शोध के परिक्षण के लिए सीएलआई पीड़ित एक चूहे को लगातार दो हफ्तों तक रोज घ्रेलिन की खुराक देने से प्रभावित अंग में खून का बहाव काफी हद तक सही पाया गया. जिसके बाद विशेषज्ञों ने इसे मनुष्यों पर भी कारगर होने का दावा किया है.