अक्सर लोग केमिस्ट पर पर्चियां दिखा कर दवा ले लेते हैं और उन्हें लम्बे समय तक खाते रहते हैं. सोनी के साथ भी यही हुआ. पेट दर्द के लिए डॉक्टर से सलाह ली और डॉक्टर के बनाए पर्चे को दिखा कर दवा खाने लेगी. 3 महीने बाद भी जब उसका पेट दर्द नहीं गया तब सोनी ने डॉक्टर बदल कर देखा. आप ये जान कर हैरान हो जाएंगे कि सोनी को 3 महीने तक वो डॉक्टर टीबी की दवाएं खिला रहा था और सोनी खाती भी जा रही थी. जबकि सोनी को सिर्फ पेट इन्फेक्शन था. सोचिए कहीं ऐसा आपके साथ भी तो नहीं हो रहा?
ये बात सोनी की नहीं बल्कि ऐसे कई लोगों की है जो बिना जांचे-परखे दवाइयां खाते रहते हैं और दूसरी कई अन्य समस्याएं अपना लेते हैं. इन सबसे बचने के लिए यह बेहद जरुरी हो जाता है कि हम अपनी दवाओं के बारे में जाने.
दवाओं को जानने और उनके इस्तेमाल को समझने के लिए ‘नो योर मेडिसिन’ कार्यक्रम के द्वारा लोगों को दवाओं के बारे में जागरूक किया जा रहा है.
‘नो योर मेडिसिन’ स्वास्थ्य जागरूकता के क्षेत्र में स्वस्थ भारत ट्रस्ट द्वारा स्वस्थ भारत अभियान के अंतर्गत इस कैंपेन की शुरूआत की गई है.
स्वस्थ भारत अभियान के राष्ट्रीय संयोजक आशुतोष कुमार सिंह ने कहा कि मरीज को दवाओं की जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है और इसमें डॉक्टरों, फार्मासिस्टों तथा सरकार की भूमिका अहम है. खासकर इस संबंध में कड़े कानूनों के बनाए जाने और ठीक से उन्हें लागू किए जाने की जरूरत है. फिलहाल तो डॉक्टरों द्वारा लिखी गयी पर्चियों पर दवाओं का नाम तक स्पष्ट नहीं होता है और सरकारी से लेकर निजी क्षेत्र तक के अस्पतालों में डॉक्टरों के पास मरीजों से बात करने के लिए पर्याप्त समय नहीं होता ताकि वे मरीजों को दवा के बारे में समझा सकें. यह स्थिति देश के स्वास्थ्य जगत के हितो के प्रतिकूल है और इसमें शीघ्रातिशीघ्र सुधार की आवश्यकता है.
उन्होंने यह भी कहा कि स्वास्थ्य के बारे मे जागरूक रहना व अपने मित्रों को जागरूक करना हमारा कर्तव्य है. यदि हम ऐसा नहीं कर रहे हैं तो खुद के प्रति व अपने दोस्तों के प्रति अन्याय कर रहे हैं