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बच्चों में मोटापा यानी कमजोर हड्डियाँ!

बच्चों में मोटापा यानी बचपन से ही बिमारियों को शरीर में जगह देना. जी हाँ, ये बात हम नहीं बल्कि एक शोध कह रहा है. मोटापा न सिर्फ बच्चों को आलसी और सुस्त बनाता है बल्कि यह शरीर की मांसपेशियों और हड्डियों को भी नुकसान पहुंचता है. हालिया हुए एक शोध के अनुसार, मोटापा बच्चों […]

बच्चों में मोटापा यानी बचपन से ही बिमारियों को शरीर में जगह देना. जी हाँ, ये बात हम नहीं बल्कि एक शोध कह रहा है. मोटापा न सिर्फ बच्चों को आलसी और सुस्त बनाता है बल्कि यह शरीर की मांसपेशियों और हड्डियों को भी नुकसान पहुंचता है.

हालिया हुए एक शोध के अनुसार, मोटापा बच्चों की मांसपेशियों के साथ ही हड्डियों को भी कमजोर करता है.

अमेरिका की जार्जिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता का कहना है कि "हड्डियों का विकास कैसा हो रहा है, इसमें मांसपेशियां एक मजबूत निर्धारक होती हैं." मोटापे के बाद बच्चों में शरीरिक विकास थम जाता है.

इस शोध से जुड़े विशेषज्ञ किंडलर का कहना है कि "मोटे बच्चों में मांसपेशियों का विकास भी अधिक होता है इसलिए हमारी धारणा है कि इन बच्चों की हड्डियां लंबी, मजबूत और बड़ी होनी चाहिए."

शोधकर्ताओं ने इस शोध के दौरान देखा कि मांसपेशी कैसे बच्चों की हड्डियों की जीआमिट्री और ताकत की विभिन्न विशेषताओं को प्रभावित करती है.

इस शोध से पहले हुए अध्ययनों का आकलन करते हुए वैज्ञानिकों ने बताया है कि बचपन से लेकर किशोरावस्था तक मांसपेशियों का हड्डियों के विकास में अहम योगदान रहता है. जबकि, मोटापे से ग्रस्त बच्चों में यह संबंध अलग देखा गया है.

अध्ययन के अनुसार, मोटापे से जुड़ा एक्सट्रा फैट मांसपेशियों में जमा हो जाता है और यही फैट बच्चों की हड्डियों की कमजोरी और उनके विकास में रूकावट के लिए जिम्मेदार है.

वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसे में इन स्थितियों से निपटने के लिए बच्चों को उचित आहार और शारीरिक गतिविधियों के माध्यम से एक स्वस्थ जीवन शैली की ओर प्रेरित करना बहुत जरुरी है.

यह शोध करंट ओपिनियन इन इंडोक्राइनोलॉजी डाइबिटीज एंड ओबेसिटीपत्रिका में प्रकाशित हुआ है.

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