विश्व मलेरिया रिपोर्ट की मानें तो भारत के 70% से अधिक लोगों पर मलेरिया के संक्रमण का खतरा हमेशा मंडराता रहता है. इनमें तकरीबन एक तिहाई पर इसका बेहद गंभीर खतरा बना रहता है. मलेरिया दवारोधी भी हो रहा है. गंभीर स्थिति पैदा करने वाली मलेरिया की कुछ किस्म पर अब उनकी दवा काम नहीं कर रही है लेकिन इस बढ़ती समस्या को कम करने का उपाय आस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने खोज निकाला है.
मलेरिया जैसी जानलेवा बीमारी के प्रभाव और उसके इलाज के लिए आस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने मलेरिया के घातक होने के वजहें ढूंढ़ने का दावा किया है. इस जानकारी के बाद मलेरिया को हराना आसान हो सकता है.
उनका कहना है कि मलेरिया के दौरान संक्रमण से बचाने वाले इम्यून सेल्स खत्म हो जाते हैं, जिसके चलते शरीर इस बीमारी से लड़ नहीं पाता. इम्यून सिस्टम फेल होने के कारणों का पता चलने के बाद अब ज्यादा असरदार मलेरिया रोधी टीका विकसित किया जा सकेगा.
वाल्टर एवं एलीजा हॉल इंस्टीट्यूट की शोधकर्ता डायना हैनसेन, एक्सल कैलीज और विक्टोरिया रिग-कॉरनेजो ने यह उल्लेखनीय सफलता हासिल की है. यह शोध बेहद कारगर तरीके से भविष्य में मलेरिया को रोकने के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध हुआ है.
शोधकर्ताओं ने मलेरिया संक्रमण के दौरान इम्यून सिस्टम पर पड़ने वाले असर की जाँच की. हैनसेन के अनुसार, यह पहला मौका है, जब मलेरिया के दौरान इम्यून सिस्टम फेल होने के कारणों को स्पष्ट किया गया है.
शोधकर्ताओं ने बताया टी और बी-सेल्स साथ मिलकर ऐसे एंटीबॉडीज पैदा करता है जो मलेरिया के लिए जिम्मेदार कीटों से मुकाबला करते हैं.
शोध में पाया गया है कि संक्रमण के दौरान टी-सेल्स का विकास रुक हो जाता है इसलिए एंटीबॉडीज उत्पन्न करने के लिए बी-सेल्स को आवश्यक निर्देश नहीं मिलते. इस तरह मलेरिया घातक रूप ले लेता है.
विशेषज्ञों के अनुसार, यदि इम्यूनिटी सेल को दुरुस्त कर दिया जाए तो निश्चित ही मलेरिया रोधी टीकों की क्षमता बढ़ाई जा सकेगी.