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दिमाग के लिए फैट डाइट है जरुरी: रिसर्च

कुछ लोग अपनों ही दुनिया में खोए रहते हैं. उनके अपने ही भ्रम और अपने ही तर्क होते हैं. दरअसल यह एक प्रकार की मानसिक बीमारी है जिसे सीजोफ्रेनिया कहते हैं. इस तरह के मरीज काल्पनिक बातों को जीते हैं. इन्हें तरह-तरह की आवाजें और और खुशबुएं महसूस होती हैं, जबकि हकीकत में ऐसा कुछ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 29, 2015 6:30 PM

कुछ लोग अपनों ही दुनिया में खोए रहते हैं. उनके अपने ही भ्रम और अपने ही तर्क होते हैं. दरअसल यह एक प्रकार की मानसिक बीमारी है जिसे सीजोफ्रेनिया कहते हैं. इस तरह के मरीज काल्पनिक बातों को जीते हैं. इन्हें तरह-तरह की आवाजें और और खुशबुएं महसूस होती हैं, जबकि हकीकत में ऐसा कुछ नहीं होता.

वैज्ञानिकों के अनुसार, यह रोग आनुवंशिक कारणों की वजह से होता है और कई बार यह दिमागी रसायनों की कमी के कारण भी होता है. इसी बीमारी के संदर्भ में हालिया हुए एक शोध ने इस और सकारात्मक कदम बढ़ाया है.

एक नए अध्ययन ने इस बात की पुष्टि की है कि लो कार्बोहाइड्रेट और फैट फुल डाइट आपके मानसिक संतुलन यानी सीजोफ्रेनिया के इलाज में मददगार हो सकती है.

अध्ययन के अनुसार, सीजोफ्रेनिया विनाशकारी और लंबे समय तक रहने वाली बीमारी है जो विश्व के लगभग एक प्रतिशत लोगों को प्रभावित कर रही है. इस रोग पर नियंत्रण के लिए कोई खास इलाज या दवा नहीं है और इसके कई दुष्प्रभाव मूवमेंट डिसऑर्डर, वजन वृद्धि और हृदय रोग का खतरा होता है.

इस अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों ने चूहों पर परीक्षण किया. परीक्षण के दौरान वैज्ञानिकों ने चूहों को कीटोजेनिक डाइट (उच्च वसा और निम्न कार्बोहाइड्रेट) दी.

कीटोजेनिक आहार वर्ष 1920 में बच्चों में एपीलेप्सी रोग के प्रबंधन में इस्तेमाल किया गया था और वर्तमान में इसे कुछ बॉडी बिल्डरों द्वारा वजन कम करने के लिए पसंद किया जाता है. ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड स्थित जेम्स कुक यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता जोल्टन सरन्यायी का कहना है कि उच्च वसा वाला आहार वैकल्पिक उर्जा श्रोतों के द्वारा कीटोन बॉडी के रूप में कार्य करता है. इसके साथ ही यह सीजोफ्रेनिक्स रोग में मस्तिष्क की कोशिकाओं के रास्ते से आसामान्य क्रियाओं को दूर करता है.

उन्होंने बताया, वसा ऊर्जा के मुख्य श्रोतों में से एक है इसलिए भोजन में घी, मक्खन, सालमन मछली कई चीजें शामिल होनी चाहिए. रोग की शुरुआत में ही इस आहार को दवा के साथ शामिल करना चाहिए. इसके अलावा इस अध्ययन में सामान्य आहार लेने वाले चूहों की तुलना में कीटोजेनिक आहार लेने वाले चूहों का वजन और रक्त शर्करा के स्तर में कम देखी गई.

यह शोध ऑनलाइन पत्रिका सीजोफ्रेनिया रिसर्च में प्रकाशित हुआ है.

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