पेट की सबसे जटिल समस्याओं ने से एक है इरिटेबल बॉवल सिन्ड्रोम (आईबीएस). यह लम्बे समय तक रहने वाली और पेट एवं आंतों को कमजोर करने वाला विकार है जिससे विश्वभर में लगभग 9 से 23% लोग ग्रस्त हैं.
इरिटेबल बॉवल सिन्ड्रोम क्यों और कैसे परिस्थितियों को विकसित करता है. अभी तक यह एक रहस्य ही है लेकिन आहार कारक एवं तनाव इसके लक्षणों को और भी बदतर बनाते हैं. इसके लक्षणों में दस्त, कब्ज, सूजन, मल में सफेद या पीला बलगम और अधूरे गुजरे मल की अनुभूति का होना शामिल हैं. इसके लक्षणों को विटामिन डी की खुराक से ही कम किया जा सकता है.
यूनिवर्सिटी ऑफ शेफील्ड के मॉलिक्यूलर गेस्ट्रोएंटरोलॉजी रिसर्च ग्रुप के शोधकर्ताओं ने डॉ. बर्नार्ड कॉर्फे के नेतृत्व में विटामिन डी के स्तर और आईबीएस के लक्षणों की गंभीरता के बीच संबंधों की जांच की.
जांच के दौरान 82% आईबीएस के मरीजों में विटामिन डी की कमी पाई गई. आईबीएस समझ में न आने वाली ऐसी बीमारी, जो मरीज के जीवन पर गंभीर प्रभाव डालती है
डॉ. कॉर्फे के अनुसार, आईबीएस एक समझ में न आने वाली परिस्थिति है जो मरीज के जीवन की गुणवत्ता पर गम्भीर रूप से प्रभाव डालती है. इस बीमारी का न तो कोई एक विशेष कारण है और न ही कोई एक इलाज.
शोधकर्ताओं के अनुसार आईबीएस काफी जटिल बीमारी है जो कि दूसरी परिस्थितियों के साथ भी उत्पन्न हो सकती है. इसके प्रभाव को विटामिन डी की खुराक से ही कम किया जा सकता है.