यदि आपने भी सिगरेट के खतरों से बचने के लिए ई-सिगरेट को अपनाया है तो संभल जाएं. यह आपकी जान के लिए नॉर्मल सिगरेट से भी ज्यादा खतरनाक है. जानने के लिए यह लेख पढ़े…
ई-सिगरेट से भी कैंसर का जबरदस्त खतरा है. जापान में हुई रिसर्च में पता चला है कि साधारण तंबाकू के मुकाबले ई-सिगरेट में 10 गुना ऐसे तत्व होते हैं, जिनसे कैंसर हो सकता है.
ई-सिगरेट में खुशबूदार द्रव का इस्तेमाल होता है, जिसमें कई बार निकोटीन भी होता है. इससे पैदा होने वाली भाप लगभग पारंपरिक सिगरेट की तरह ही मजा देती है. लेकिन यह तंबाकू वाली सिगरेट से कहीं ज्यादा नुकसानदायक है.
जापान के स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से की गई रिसर्च में कहा गया है कि इसके भाप में फॉर्मलडिहाइड और एसिटलडीहाइड जैसे कार्सिनोजेन तत्व पाए गए हैं. फॉर्मलडिहाइड का इस्तेमाल इमारतों के निर्माण में होता है और ई-सिगरेट में इसकी मात्रा साधारण सिगरेट के मुकाबले ज्यादा पाई गई.
विशेषज्ञ नाओकी कुनुगिता का कहना है, "एक खास ब्रांड की ई-सिगरेट में विशेषज्ञों ने कार्सिनोजेन की मात्रा साधारण सिगरेट के मुकाबले 10 गुना ज्यादा पाई. खास तौर पर तब, जब धुआं खींचने वाला पाइप जरूरत से ज्यादा गर्म हो जाता है."
डब्लू.एच.ओ ने भी चेताया है…
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सरकारों से कहा था कि उन्हें गैर वयस्कों को ई सिगरेट की बिक्री बंद कर देनी चाहिए. संगठन का कहना था कि इससे अजन्मे बच्चों और युवाओं को भारी खतरा है.
डब्ल्यूएचओ का दावा है इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि इससे बच्चों, गर्भवती महिलाओं और प्रजनन क्षमता वाली महिलाओं को भारी खतरा हो सकता है.
संयुक्त राष्ट्र की इस संस्था का कहना है कि ई सिगरेट के इनडोर प्रयोग को भी बंद कर देना चाहिए. अमेरिका के स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि 2011 से 2013 के बीच ई सिगरेट का इस्तेमाल करने वाले युवाओं की संख्या तीन गुनी बढ़ी है.