अब डेंगू से बचाएगा ‘एलईडी बल्ब’

भारत समेत 128 देशों में डेंगू का कहर फैला हुआ है. हर साल लगभग 39 करोड़ लोग इसकी चपेट में आते हैं. खास कर एशिया और प्रशांत के देशों में इसका प्रकोप अधिक देखने को मिलता है. इससे निपटने में चिकित्सा विज्ञान के प्रयास विफल रहे हैं. डेंगू की रोकथाम के लिए हर साल 2 […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 19, 2016 12:57 PM

भारत समेत 128 देशों में डेंगू का कहर फैला हुआ है. हर साल लगभग 39 करोड़ लोग इसकी चपेट में आते हैं. खास कर एशिया और प्रशांत के देशों में इसका प्रकोप अधिक देखने को मिलता है. इससे निपटने में चिकित्सा विज्ञान के प्रयास विफल रहे हैं.

डेंगू की रोकथाम के लिए हर साल 2 अरब डॉलर खर्च किए जाते हैं. पिछले वर्ष एशिया के पांच देशों में इसका जबरदस्त प्रकोप रहा, अकेले मलेशिया में 200 से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई.

लेकिन जल्द ही इससे निपटने के लिए ऐसी स्ट्रीट लाइट इस्तेमाल में लायी जाएँगी जिनमें विशेष एलईडी बल्ब लगा होगा. जो मच्छरों को सफाया करने में मदद करेंगी.

मलेशिया के मलाया विश्वविद्यालय में शोध के बाद मैकेनिकल इंजीनियर डॉ चोंग वेन तोंग ने ऐसा लैंप बनाया है जो पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर प्रकाश सुविधा तो उपलब्ध कराएगा ही, साथ में विशेष तौर पर डेंगू मछरों का सफाया भी करेगा.

इस बल्ब को ईको ग्रीनरी आउटडोर लाइटनिंग सिस्टम नाम दिया गया है. इसमें लैंप से बेहद कम मात्र में कार्बन डाय ऑक्साइड का उत्सर्जन होगा, यह मच्छरों को आकर्षित करेगा. इसके साथ ही मानव शरीर जैसी विशेष गंध भी लैंप से निकलेगी. जिससे मच्छर एलईडी बल्ब के पास खिंचे चले आएंगे और लैंप के शीर्ष पर लगे जालीदार कवर से जाल में फंस जाएंगे, इसके बाद वहीं लगा सक्शन पंखा उनका काम तमाम कर देगा.

डॉ तोंग व उनके सहयोगियों ने इस पायलट प्रोजेक्ट पर 18 माह काम किया. इस दल मलाया विश्वविद्यालय कैंपस में अब तक 8 ऐसी स्ट्रीट लाइटें लगा चुका है.

डॉ तोंग ने बताया कि एक कंपनी से अनुबंध हो चुका और ऐसी लाइटें बाजार में आने को तैयार हैं. उन्होंने बताया कि आरंभिक अवस्था होने के कारण स्ट्रीट लाइट सिस्टम की कीमत कुछ अधिक है लेकिन अन्य उपायों से इसे सामान्य स्तर पर लाया जा सकता है. इस लाइट का संचालन पूरी तरह सौर अथवा पवन ऊर्जा से किया जाएगा, नए एलईडी लैंप की आयु भी सामान्य बल्ब से कहीं अधिक होगी. बल्ब, बैटरी, इलेक्ट्रॉनिक वायरिंग और संचालन बॉक्स खंभे पर सबसे ऊपर लगाए जाएंगे ताकि बाढ़ आने पर भी खराब न हों. विकासशील देशों में यह स्ट्रीट लाइट खासतौर पर असरदार साबित हो सकती है.

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