आपकी नींद का दुश्मन है ‘सोशल मीडिया’
पहले फ़ोन के कारण पेरेंट्स बच्चों को डांटा करते थे और अब सोशल मीडिया साइट फेसबुक, ट्विटर के लिए. तकनीक ने जितनी तरक्की की है उससे कहीं ज्यादा समस्याएं भी पैदा की है. उन्ही समस्यायों में से एक समस्या है ‘नींद न आना’. जी हाँ, पहले फ़ोन और अब सोशल साइट्स पर शिरकत करते रहने […]
पहले फ़ोन के कारण पेरेंट्स बच्चों को डांटा करते थे और अब सोशल मीडिया साइट फेसबुक, ट्विटर के लिए. तकनीक ने जितनी तरक्की की है उससे कहीं ज्यादा समस्याएं भी पैदा की है. उन्ही समस्यायों में से एक समस्या है ‘नींद न आना’. जी हाँ, पहले फ़ोन और अब सोशल साइट्स पर शिरकत करते रहने से बच्चे, बड़े सभी ‘नींद न आने’ की बीमारी से ग्रस्त हो चले हैं.
हालिया हुए एक शोध ने इस धारणा को और अधिक प्रबल कर दिया है कि घर में बैठ कर सोशल साइट्स पर अधिक समय बिताने वाले किशोरों को अपने उन साथियों की तुलना में अधिक नींद संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं जो अक्सर बाहरी खेलकूद की गतिविधियों में भाग लेते हैं.
इस शोध की मुख्य लेखिका और यूनिवर्सिटी ऑफ पिट्टसबर्ग की शोधकर्ता के अनुसार, यह उन सबूतों के पहले टुकड़ों में है जो बताता है कि सोशल मीडिया साइट आपकी नींद को प्रभावित करती है.
इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए लेवन्सन और उनके साथियों ने 19 से 32 साल के 1, 788 लोगों पर परीक्षण किया. इस दौरान उनसे फेसबुक, यूट्यूब, ट्विटर जैसी विभिन्न सोशल साइटों से संबंधित सवाल किए गए.
औसत के अनुसार, यह प्रतिभागी प्रत्येक दिन कुल 61 मिनट सोशल मीडिया पर बिताते थे. इसके अलावा वह हर सप्ताह अलग-अलग प्रकार की सोशल मीडिया साइट को भी देखते हैं.
इस शोध में शामिल 30% प्रतिभागियों में नींद संबंधी बाधाओं का उच्च स्तर देखने को मिला.
इसके अलावा जो लोग सप्ताह भर तेजी से सोशल मीडिया की जांच करते रहते हैं, उनमें नींद संबंधी परेशानी होने की संभावना उन लोगों से तीन गुना अधिक होती है जो उतनी तेजी से सोशल मीडिया की जांच नहीं करते हैं.
उन्होंने बताया, सोशल मीडिया पर जाने की तीव्रता से नींद संबंधी परेशानियों को समझने में बेहतर जानकारी मिल सकती है.
जो लोग एक दिन में अपना अधिक समय सोशल मीडिया पर बिताते हैं, उनमें सोशल साइट पर कम समय बिताने वालों की तुलना में नींद संबंधी परेशानी होने की दोगुनी संभावना होती है.