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अब पाइए इच्छानुसार संतान यानी पाएं ‘डिजायनर बेबी’

क्या कभी आपने सोचा था कि आप अपनी पसंद अपनी डिजायन का बेबी पा सकेंगे? नहीं न! तो अब सोचिए और आपकी इस सोच को हकीकत में लायेंगे ब्रिटेन के वैज्ञानिक. जी हाँ, अब आप अपनी इच्छा के अनुसार बेबी पा सकेंगे….. विज्ञानियों को मानव भ्रूण पर अनुसंधान की अनुमति दी गई है. चीनी विज्ञानियों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 2, 2016 5:23 PM

क्या कभी आपने सोचा था कि आप अपनी पसंद अपनी डिजायन का बेबी पा सकेंगे? नहीं न! तो अब सोचिए और आपकी इस सोच को हकीकत में लायेंगे ब्रिटेन के वैज्ञानिक. जी हाँ, अब आप अपनी इच्छा के अनुसार बेबी पा सकेंगे…..

विज्ञानियों को मानव भ्रूण पर अनुसंधान की अनुमति दी गई है. चीनी विज्ञानियों ने एक वर्ष पूर्व यह घोषणा करके हलचल मचा दी थी कि उन्होंने जेनेटिकली मोडिफाइड (जीएम) मानव भ्रूण तैयार कर लिए हैं. उसी तकनीक पर ब्रिटिश विज्ञानियों को अनुमति मिली और अब संभावना बढ़ गई है कि निकट भविष्य जीएम बेबीया डिजायनर बेबीकी कल्पना मूर्त रूप ले सकती है.

लंदन के फ्रांसिस क्रिक इंस्टीट्यूट की स्टेम सेल विज्ञानी कैथी नियाकन व उनकी टीम के अनुसंधान के अनुरोध को ब्रिटिश संस्था द ह्यूमन फर्टिलाइजेशन एंड एंब्रियोलोजी अथॉरिटी ने मंजूरी दे दी है. विज्ञानी मानवीय भ्रूण पर जीन एडिटिंग तकनीक से शोध करेंगे. यह जेनेटिकली मोडिफाइड तरीके का ही समरूप है. कैथी नियाकन के अनुसार, भ्रूण बनने के आरंभिक सात दिनों तक सिंगल सेल से लेकर 250 सेल पर शोध होगा.

नियाकन की योजना सी.आर.आइ.एस.पी.आर-क्रास 9 तकनीक पर आधारित है जिसकी यह कह कर आलोचना हो रही है कि इसका उपयोग डिजायर बेबी तैयार करने में होगा, यानी जैसा चाहेंगे बचा वैसा ही पैदा होगा. यह तकनीक विज्ञानियों को भ्रूण की जेनेटिक गड़बड़ियों को दूर करने या बदलने में मददगार है लेकिन दूसरा रूप ये है कि यह गेम चेंजर भी है.

ब्रिटेन के ह्यूमन जेनेटिक अलर्ट अभियान के निदेशक डेविड किंग ने नियाकन की योजना को जीएम बेबी को वैध रूप देने का प्रयास बताया है. नियाकन का कहना है कि उसका ऐसा कोई इरादा नहीं कि भ्रूण के जीन से छेड़छाड़ की जाए, मेरा उद्देश्य है कि मानव भ्रूण का अनुकूल परिस्थितियों में विकास हो. भविष्य में प्रजनन अक्षमता का सही निदान संभव होगा.

नियाकन ने बताया कि वह पहले जीन(ओसीटी4) पर शोध करेंगी, यह भ्रूण की आरंभिक अवस्था में विकास में महत्वपूर्ण है.

एडिनबर्ग विवि के स्कॉटलैंड स्थित रोसलिन इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर ब्रूस व्हाइटलॉ ने एचएफईए के निर्णय की प्रशंसा की है. उन्होंने कहा, प्रोजेक्ट से मानव भ्रूण का विकास के बारे में जानने में मदद मिलेगी. निस्संतान दंपतियों के लिए आशा की किरण जागेगी और गर्भपात रोकने में मदद मिलेगी.

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