‘जीका वायरस’ के खिलाफ भारत की जंग सफल
जीका वायरस से बढ़ती क्षति को देखते हुए विश्व भर के विशेषज्ञ इसका हल खोजने में लगे हैं इसी राह में भारत को एक सफलता मिली है. विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा करार देने के बाद भारत भी इसके खिलाफ़ लड़ने को तैयार हो गया है और लगभग विजेता भी. […]
जीका वायरस से बढ़ती क्षति को देखते हुए विश्व भर के विशेषज्ञ इसका हल खोजने में लगे हैं इसी राह में भारत को एक सफलता मिली है. विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा करार देने के बाद भारत भी इसके खिलाफ़ लड़ने को तैयार हो गया है और लगभग विजेता भी.
हैदराबाद की एक कंपनी भारत बायोटेक ने जीका के खिलाफ वैक्सीन तैयार करने का दावा किया है. इस वायरस पर दुनिया के कई देशों में शोध चल रहा है और कई बड़ी कंपनियां अभी अनुसंधान का पहला कदम उठाने में मुश्किलों का सामना कर रही हैं.
बाहर से जीका वायरस मंगाकर हैदराबाद की इस कंपनी ने दो टीके तैयार किए हैं. लेकिन किसी जानवर या इंसान पर वैक्सीन का परीक्षण करने में अभी समय लग सकता है.
कंपनी के प्रमुख कृष्णा इला ने कहा कि इस काम में हम भारत सरकार का समर्थन चाहते हैं. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने इस काम में मदद का हाथ बढ़ाया है. कंपनी चार महीने में वैक्सीन की 10 लाख खुराक बना सकती है.
कृष्णा इला का कहना है कि भारत को इसका इस्तेमाल उन देशों की मदद में करना चाहिए, जिन्हें इस टीके की सख्त जरूरत है. इसके लिए वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मदद भी चाहते हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के 23 देशों में यह वायरस फैल चुका है. ब्राजील इससे सबसे यादा प्रभावित देश है. 2015 से अब तक वहां पर जीका के चलते 3,530 माइक्रोसिफेली ग्रस्त बच्चों का जन्म हो चुका है. इस बीमारी में बच्चों के मस्तिष्क का पूरा विकास नहीं हो पाता और उनका सिर सामान्य से छोटा रह जाता है.
अभी तक इसका कोई इलाज नहीं खोजा गया है लेकिन इस उठा यह कदम उजाले की किरण बन कर सामने आया है.