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जानिए, क्यों सिर्फ श्रृंगार नहीं है ‘बिंदी’?

हम सभी मानते हैं कि श्रृंगार को पूरा करने में बिंदी की मुख्य भूमिका है लेकिन बिंदी सिर्फ श्रृंगार नहीं है बल्कि यह महिलाओं की शक्ति का भी प्रतिक है. जी हाँ, बिंदी आपके सौन्दर्य को बढ़ाने के लिए ही नहीं वरन आपके मनोबल को भी बढ़ाती है. यह साधारण लगती जरुर है लेकिन यह […]

हम सभी मानते हैं कि श्रृंगार को पूरा करने में बिंदी की मुख्य भूमिका है लेकिन बिंदी सिर्फ श्रृंगार नहीं है बल्कि यह महिलाओं की शक्ति का भी प्रतिक है. जी हाँ, बिंदी आपके सौन्दर्य को बढ़ाने के लिए ही नहीं वरन आपके मनोबल को भी बढ़ाती है. यह साधारण लगती जरुर है लेकिन यह विशेष है. आइये बताते हैं आपको बिंदी के छुपे गुणों के बारे में….

सिर्फ सुहाग के लिए नहीं….

सुहाग की निशानी हो या औरतों का श्रृंगार, माथे पर बिंदी न सिर्फ खूबसूरती में चार चाँद लगाती है ब‌ल्कि महिलाओं के लिए सेहत के लिहाज से भी बहुत जरूरी है.

योग विज्ञान के अनुसार….

योग विज्ञान के आधार पर बिंदी का संबंध हमारे मन से जुड़ा हुआ है. जहां बिंदी लगाई जाती है वहीं हमारा आज्ञा चक्र स्थित होता है. यह चक्र हमारे मन को संगृहीत करता है. जब भी हम ध्यान मुद्रा में होते हैं तब हमारा ध्यान यहीं केंद्रित होता है. क्योंकि ध्यान हमारे मन को नियंत्रित करता है अत: यह स्थान काफी प्रभावाशाली है. मन को एकाग्र करने के लिए इसी चक्र पर दबाव दिया जाता है और यहीं पर स्त्रियां बिंदी लगाती हैं.

शिव की तीसरी आँख सी बिंदी

आज्ञा चक्र के स्थान पर ही तीसरे नेत्र की परिकल्पना की गई है. इसलिए इस स्थान पर बिंदी लगाने से स्त्रियों का मन नियंत्रित रहता है और इधर-उधर विचलन नहीं करता है. सामान्य मान्यता है कि महिलाओं का मन अति चंचल होता है. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा हाल में किए गए अनुसंधान में ऐसा साबित भी हुआ है. शायद इसी वजह से किसी भी स्त्री का मन बदलने में पलभर का ही समय लगता है.

एकाग्रता बढ़ाती है बिंदी

स्त्रियां एक समय पर एक ही साथ कई विषयों पर मंथन करती रहती हैं. अत: उनके मन को नियंत्रित और स्थिर रखने के लिए बिंदी बहुत प्रभावोत्पादक साबित होती है. इससे उनका मन शांत और एकाग्र बना रहता है. शायद इन्हीं फायदों को देखते हुए प्राचीन ऋषि-मुनियों द्वारा बिंदी लगाने की अनिवार्य परंपरा प्रारंभ की गई थी.

बिंदी हमेशा लाभकारी

बिंदी को आयुर्वेद से लेकर एक्यूप्रेशर तक में विशेषता दी गई है और इसे महिलाओं की सेहत से जुड़ी कई समस्याओं के उपचार में मददगार भी माना गया है. बिंदी लगाने को सिर्फ वेश-भूषा का अंग मानना काफी नहीं. बिंदी लगाना आज से नहीं बल्कि प्राचीन काल से शुरू हुआ और सिर्फ भारत में नहीं विश्व भर में इसे अपनाया जा रहा है.

शांति के लिए बिंदी

आयुर्वेद में बिंदी लगाने वाले स्थान को न सिर्फ मानसिक शांति के लिए महत्वपूर्ण माना गया है बल्कि यह घोर श्रम दूर करने और अच्छी नींद के लिए भी जरूरी है. शिरोधरा विधि से इस बिंदु पर दबाव बनाकर अनिद्रा की समस्या दूर की जा सकती है.

आँखों के लिए जरुरी बिंदी

माथे का मध्य भाग जहां बिंदी लगाते हैं सुप्राट्रोक्लियर नर्व से संबंधित है जिसमें आंखों और त्वचा के लिए जरूरी फाइबर मौजूद हैं. यह आंखों को अलग-अलग दिशाओं में देखने में काफी मददगार है. बिंदी लगाने वाले स्थान के पास से कान से संबंधित नस भी गुजरती है जिस पर दबाव बनाने से सुनने की क्षमता बढ़ती है. कई बार देखा गया है कि बिंदी लगाने वालों की तबीयत भी कम ख़राब होती है तथा सहनशीलता भी बढ़ती है.

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