इंटरनेट ने बदलती जीवनशैली को बहुत आसान बना दिया है. हर छोटी-बड़ी चीज़ इंटरनेट के जरिए कभी भी, कहीं भी पहुंचाई जा सकती है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यही इंटरनेट इलाज भी कर सकता है? जी हाँ, यह सच है. कैसे ? आइये आपको बताते हैं….
‘बॉडी डिस्मोर्फिक डिसॉडर‘ (बीडीडी) बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति अपने व्यक्तित्व को लेकर भ्रम में रहता है और उनका अधिकांश समय अपने रूप-रंग को लेकर सोचते हुए गुजर जाता है.
शोध में कहा गया है कि इंटरनेट पर बातचीत के जरिए उपचार प्रदान करने के लिए तैयार किया गया ‘कॉग्निटिव बीहैव्यरल थेरेपी‘ (सीबीटी, यह मनोचिकित्सा की वह पद्धति है, जिसके अन्तर्गत रोगी के सोचने और व्यवहार करने की ओर ध्यान दिया जाता है) प्रोगाम, बीडीडी ग्रस्त रोगियों का जीवन सुधारने में मददगार हो सकती है.
स्टॉकहोम के कारोलिंस्का यूनिवर्सिटी अस्पताल के शोधकर्ताओं के अनुसार, "सीबीटी उपचार प्रणाली रोगियों में अपने व्यक्तित्व के बारे में नजरिया बदलने और व्यवहार में बदलाव लाने में मददगार है और रोगियों की देखभाल में काफी लाभकारी है."
शोध के अनुसार, बीडीडी से कम प्रभावित रोगियों को सामान्य चिकित्सकों की मदद से यह उपचार प्रदान किया जा सकता है, लेकिन गंभीर रोगियों को विशेषज्ञों द्वारा ही यह उपचार दिया जाना चाहिए.
इस शोध में 94 वयस्क रोगियों को शामिल किया गया और 21 सप्ताह उनमें से कुछ को बीडीडी प्रणाली द्वारा, तो कुछ को अन्य तरीके का उपचार प्रदान किया गया. इस इलाज के दौरान किसी भी रोगी का चिकित्सक के साथ आमना-सामना नहीं हुआ.
जिन रोगियों का इलाज सीबीटी प्रणाली से किया गया, उनमें अन्य प्रणाली से उपचार लेने वाले रोगियों के मुकाबले अधिक सुधार देखा गया.
यह शोध ‘बीएमजे‘ के ताजा अंक में प्रकाशित हुआ है.