ल्यूकोरिया के साथ हो सकता है पीआइडी

कभी-कभी सर्विक्स के माध्यम से इन्फेक्शन अंदरूनी अंगों में भी फैल जाता है. यही पीआइडी है. गंभीर हो जाने पर यह बांझपन की समस्या भी उत्पन्न कर सकता है. अत: इन्फेक्शन के लक्षण दिखें, तो पीआइडी की भी जांच करा लेनी चाहिए. एक 25 वर्ष की विवाहित महिला क्लिनिक आयी. उसके तीन बच्चे थे और […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 10, 2016 8:48 AM
कभी-कभी सर्विक्स के माध्यम से इन्फेक्शन अंदरूनी अंगों में भी फैल जाता है. यही पीआइडी है. गंभीर हो जाने पर यह बांझपन की समस्या भी उत्पन्न कर सकता है. अत: इन्फेक्शन के लक्षण दिखें, तो पीआइडी की भी जांच करा लेनी चाहिए.
एक 25 वर्ष की विवाहित महिला क्लिनिक आयी. उसके तीन बच्चे थे और दो बार एबॉर्शन हो चुका था. उसे ल्यूकोरिया हुआ था. पेट के निचले हिस्से में दर्द की शिकायत रहती थी. कुछ दिनों से उसे हल्का बुखार तथा भूख न लगने की शिकायत भी थी. एक शिकायत यह भी थी कि कुछ महीनों से मासिक के दौरान दर्द बढ़ जाता था. केस हिस्ट्री लेने से पता चला कि उसे पुरानी किसी तरह की बीमारी नहीं थी. टीबी भी नहीं हुआ था. शारीरिक जांच में पाया गया कि पेट के निचले हिस्से को दबाने से तकलीफ बढ़ती है. जननांग के चेकअप में पाया गया कि गर्भाशय में दर्द है.
गर्भाशय के दाहिने तरफ अंडकोष तथा फेलोपियन ट्यूब में ज्यादा दर्द था. उसे कुछ जरूरी जांच कराने को कहा गया जैसे-CBC,ESR,CRP,USG तथा गुप्तांग के तरल पदार्थ की जांच. उस महिला का ल्यूकोसाइट बढ़ा हुआ था. इएसआर तथा सीआरपी भी काफी बढ़े हुए थे. पीआइडी में इन्फेक्शन होने के संकेत मिले. पुष्टि होते ही पीआइडी का उपचार शुरू किया गया. उसे कुछ जरूरी दवाइयां दी गयीं और तीन दिनों के बाद आने को कहा गया. तीन दिनों बाद भी उसकी तकलीफ कम नहीं हुई. इसलिए उसे अस्पताल में भरती कर एंटीबायोटिक दी गयी. दो दिनों में मरीज में काफी सुधार आया था. अत: उसे दो सप्ताह तक कुछ दवाइयां देकर छुट्टी दी गयी.
किन्हें है अधिक खतरा
जिन्हें गोनोरिया या क्लेमाइडिया का इन्फेक्शन होता है, उन्हें इसका खतरा अधिक होता है. जिस महिला को पहले कभी यह रोग हुआ हो उसे भी इसका खतरा अधिक होता है. असुरक्षित यौन संबंध से भी इसका खतरा बढ़ता है.
इस रोग का उपचार मुख्य रूप से एंटीबायोटिक है. इसके लिए एक से अधिक ओरल एंटीबायोटिक दी जा सकती हैं. रोग यदि गंभीर हो जाये, तब इन्जेक्शन का सहारा लिया जाता है. यदि महिला को यह इन्फेक्शन होता है, तो पति का भी इलाज करना जरूरी होता है, क्योंकि पति से यह इन्फेक्शन फिर से हो सकता है. यदि रोग गंभीर हो जाये, तो एब्सेस बन जाता है. इस पर एंटीबायोटिक का भी कोई असर नहीं होता है. ऐसे में सर्जरी करनी पड़ सकती है. इसलिए इसके लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.
पीआइडी या पेल्विक इन्फ्लेमेट्री डिजीज महिलाओं के रिप्रोडक्टिव आॅर्गन में होनेवाला इन्फेक्शन है. यह यौन संक्रामक रोग है, जो यूटेरस, ओवरी, फेलोपियन ट्यूब और अन्य अंगों को क्षति पहुंचाता है. यह महिलाओं में बांझपन का एक प्रमुख कारण भी है. यदि सर्विक्स किसी इन्फेक्शन की चपेट में आता है, तो रोगों के प्रसार का खतरा बढ़ जाता है. गोनोरिया और क्लेमाइडिया इस रोग की प्रमुख वजह हैं.
इसके लक्षण स्थिति के ऊपर निर्भर करते हैं. सामान्यत: मरीज में ये लक्षण दिखते हैं-
– पेट में दर्द अधिक होता है.
– वजिना से पीले या हरे रंग का असामान्य डिस्चार्ज होना
– मूत्र त्याग के समय दर्द भी हो सकता है.
– उबकाई आना या उल्टी होना
– हल्का बुखार भी हो सकता है

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