हम जैसा सोचते हैं वैसा ही हमारा व्यक्तित्व बनता है. इस बात को पक्का कर दिया है हालिया हुए एक शोध ने. जी हाँ, एक व्यक्ति की सोच ही उसका बनना और बिगड़ना बताती है और ये बात आपके दिमाग की बनावट तय करती है. कैसे? जानने के लिए पूरा लेख पढ़ें…..
आस्ट्रेलिया में मोनाश विश्व विद्यालय से सम्बंधित मोनाश इंस्टीट्यूट ऑफ कोग्नीटिव एंड क्लीनिकल न्यूरोसाइंसेज के डॉ. पास्कल मोलनबग्र्स के नेतृत्व वाली टीम ने इस बारे में अध्ययन किया. उन्होंने पाया कि जब कोई आदमी भिन्न तरीके से सोचता है, तो उसके दिमाग का एक खास हिस्सा सक्रिय होता है.
आम लोगों में दिमाग का वह हिस्सा सक्रिय नहीं होता जो असहमति प्रकट करे. असहमति जताते वक्त दिमाग के बीच का हिस्सा सक्रिय होता है जो लीडर व्यक्तित्व वाले व्यक्ति में पाया जाता है.
इसके अध्ययन के लिए टीम ने कुछ लोगों के सिर की एक विशेष किस्म की एमआरआइ की. इसे ‘फंक्शनल एमआरआइ’ या ‘एफएमआरआइ’ कहते हैं.
इन लोगों को 192 स्थितियों वाले सवाल दिए गए और इसमें सही या गलत चुनने का विकल्प दिया गया. ये सवाल बायोलॉजी, इतिहास, मेडिसिन और फिजिक्स से संबंधित थे. जिन्हें सवाल दिए गए, वे शिक्षक से लेकर विद्यार्थी थे.
इन दिए गये सवालों में ऐसी स्थितियां पैदा की गईं कि उनके पास असहमति का विकल्प अधिक रहे. इस पूरे परिक्षण के दौरान, उन लोगों को सवाल दिए जाने से लेकर उत्तर देने तक उनकी एफएमआरआइ की गई.
जिन लोगों ने कभी-कभी ही भिन्न मत प्रकट किए, उनकी ललाट के बीच के बाहरी हिस्से में गतिविधियां देखी गईं. जो सामान्यतया हर व्यक्ति में होता ही है. यह फॉलोअर होने की निशानी है.
लेकिन, जो लोग बराबर असहमति प्रकट कर रहे थे, उनके दिमाग के बीच में सक्रियता देखी गई. ये हिस्से मानसिक रूप से जोर डालने पर सक्रिय होते हैं. यह स्थिति आमतौर पर कम ही लोगों में पाई जाती है. जिनमें इस तरह की सक्रियता रहती है, वे ही बातों का पूरा विश्लेषण कर सहमति जताते हैं. ये लीडर होने के संकेत होते हैं.