नमक खाने का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है. लेकिन आए दिन खाने में नमक यानी सोडियम की मात्रा नियंत्रित किए जाने की बात कही जाती है. इसी समस्या को दूर करने के लिए वैज्ञानिकों ने इसका हल खोज निकाला है.
खाने में नमक की मात्रा को लेकर डॉक्टर अक्सर चिंता व्यक्त करते रहते हैं. लेकिन खाने वाले इस और ध्यान नही देते. नतीजा, शरीर बिमारियों का भंडार हो जाता है. इस परेशानी से निपटने के लिए हालिया हुए एक शोध ने नमक महसूस करने वाली कोशिकाओं का पता लगाया है.
फिलोडेल्फिया के मोनेल केमिकल सेंसेज के शोधकर्ताओं ने जीभ में नमक का स्वाद महसूस करने वाली कोशिकाओं को पहचानने में सफलता पाई है. कोशिकाओं की कार्यप्रणाली को समझकर नमक का कृत्रिम विकल्प बनाना संभव हो सकता है.
शोधकर्ता ब्रायन लेवानडोस्की ने कहा, ‘नमक के स्वाद को पहचानने की प्रक्रिया अधिक से अधिक समझना भोजन में नमक की मात्र को कम करने की रणनीति बनाने में सहायक होगा. जिसकेद्वारा नमक कम करते हुए लोगों को पर्याप्त स्वाद देना संभव हो सकता है.’
नमक सोडियम के पॉजिटिव और क्लोरीन के नेगेटिव आयन से मिलकर बना होता है. इस शोध से पहले, शोधकर्ताओं को जीभ में पॉजिटिव आयन महसूस करने वाले रिसेप्टर की जानकारी तो लंबे समय से थी. लेकिन नेगेटिव आयन रिसेप्टर की जानकारी नहीं थी. ताजा शोध में उन कोशिकाओं के बारे में भी जानकारी मिली, जो नेगेटिव आयन को महसूस करती हैं.