कमरा अलग करें दिल नहीं
अमूमन माता-पिता के जेहन में यह बात होती है कि बच्चों को अपना स्पेस दे देना चाहिए या फिर उन्हें प्राइवेसी की जरूरत है. इस चक्कर में वे बच्चों को वक्त से पहले अपना अलग कमरा दे देते हैं. कई माता-पिता इस सोच से भी बच्चों को अलग कमरा दे देते हैं, क्योंकि उन्हें लगता […]
अमूमन माता-पिता के जेहन में यह बात होती है कि बच्चों को अपना स्पेस दे देना चाहिए या फिर उन्हें प्राइवेसी की जरूरत है. इस चक्कर में वे बच्चों को वक्त से पहले अपना अलग कमरा दे देते हैं. कई माता-पिता इस सोच से भी बच्चों को अलग कमरा दे देते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि बच्चे उनकी जिंदगी में दखलअंदाजी करेंगे. ऐसे में कई बार ऐसा होता है कि बच्चों को यह अलगाव पसंद नहीं आता और उनमें नकारात्मक स्वभाव आ जाते हैं. सो, यह जरूरी है कि बच्चे को सही वक्त पर दूसरा कमरा दें.
कई माता-पिता बच्चे की मनमर्जी के बिना उन्हें दूसरा कमरा देने लगते हैं. कई बच्चों को अकेलापन बर्दाश्त नहीं होता. वे नहीं चाहते कि उन्हें अपने माता-पिता से कोई दूर करें. लेकिन जब खुद माता पिता ही यह करने लगते हैं. तो उनसे यह बात बिल्कुल बर्दाश्त नहीं होती है. ऐसे में वे कमरा तो अलग कर लेते हैं. लेकिन उनका दिल माता-पिता के साथ ही होता है. ऐसे में वह दुखी रहने लगते हैं और माता-पिता से धीरे धीरे कटने लगते हैं.
अक्सर ऐसा होता है कि माता-पिता बच्चे को अलग कमरा देकर निश्चिंत तो हो जाते हैं और उन्हें लगता है कि वे अपने बेफिक्र हो गये हैं. इससे बच्चे का मन भी आजाद हो जाता है और वह अपने कमरे में अपनी ही दुनिया बसा लेता है. फिर उसे बाहरी दुनिया से कोई मतलब नहीं होता. वह अपनी ही दुनिया में मग्न हो जाता है. उसे फिर किसी और बात की चिंता नहीं होती.यह बच्चे के विकास में बाधक है. सो, यह जरूरी है कि एक सही उम्र पर ही बच्चों को उनका कमरा दें.
कई बच्चे रात में सोते वक्त काफी डर जाते हैं. अगर बच्चा अपने कमरे में नहीं रहना चाहता और वह चाहता है कि वह कम से कम रात में माता-पिता के साथ रहे. तो बच्चे की बात जरूर मानें. बच्चे कई बार अपने माता-पिता से घिरे रहते हैं तो खुद को सेक्योर महसूस करते हैं. उन्हें लगता है कि हमारे साथ कोई है. तो जरूरी है कि बच्चे को इस बात का एहसास कराया जाता रहे. यह भी बच्चे के दिल से सारे डर को दूर भगाने का सबसे बेहतरीन तरीका है.
अगर आपका बच्चा दूसरे कमरे में सो भी रहा है तो आपको चाहिए कि आप बच्चे को यह एहसास न करायें कि वह अलग थलग है. खास तौर से रात में जाकर आपको उन्हें कहानियां सुना कर उन्हें सुला कर आना चाहिए. इससे भी बच्चे खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं और उनके मन में किसी तरह की हीन भावना नहीं आती है. सो, यह भी बेहद जरूरी है कि हम बच्चों की परेशानी को समझें और उनकी तरह से उसे सुलझाने की कोशिश करें.