अब चूहे भी कर सकते हैं ‘इलाज़’!

कई पशु, पक्षियों को हम गंदगी और रोग फैलाने वाला मान कर घर से दूर रखने की कोशिश करते हैं लेकिन इस लेख को पढ़ने के बाद शायद आपकी सोच बदल जाए. जी हाँ, हमारे पालतू और कई दूसरे जानवरों में गंभीर रोगों को पहचानने की अद्भुत क्षमता देखने को मिली हैं जिसके कारण उन्हें […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 16, 2016 7:45 PM

कई पशु, पक्षियों को हम गंदगी और रोग फैलाने वाला मान कर घर से दूर रखने की कोशिश करते हैं लेकिन इस लेख को पढ़ने के बाद शायद आपकी सोच बदल जाए. जी हाँ, हमारे पालतू और कई दूसरे जानवरों में गंभीर रोगों को पहचानने की अद्भुत क्षमता देखने को मिली हैं जिसके कारण उन्हें अपने साथ रखना मनुष्य के लिए लाभकारी हो सकता है.

हालिया हुए एक शोध ने इस तथ्य को उजागर किया कि पशु, पक्षियों में रोगों को पहचानने की अद्भुत क्षमता होती है.

अफ्रीकी देश मोजांबिक की मोपुता एडुआडरे मोंडलेन यूनिवर्सिटी के विज्ञानियों ने शोध में पाया कि चूहे ने बलगम के सैंपल में तपेदिक बैक्टीरिया की गंध सूंघ कर रोग की पुष्टि कर दी.

गंध पहचानने के बाद चूहा रुक गया और अपने पैर रगड़ने लगा जिसका मतलब था कि सैंपल में टीबी के बैक्टीरिया हैं.

वैज्ञानिकों के अनुसार, चूहा टीबी का सटीक डिटेक्टर साबित हो सकता है. यह तरीका उन देशों के लिए व्यावहारिक और प्रभावशाली हो सकता है जहां टीबी रोगियों की अधिकता के साथ जांच के लिए आधुनिक उपकरण बेहद सीमित हैं.

चूहे की नाक में सूंघने की क्षमता रखने वाली एक हजार से अधिक कोशिकाएं (रिसेप्टर) होती हैं जबकि मानव के नाक में इनकी संख्या केवल सौ से दो सौ तक ही होती हैं. यदि चूहों को प्रशिक्षण दिया जाए तो गंध की जटिलता का विश्लेषण करके वे अनेक रोगों की पहचान करने में समर्थ हो सकते हैं. अनुसंधानकर्ताओं ने लंबी पूंछ के चूहे को इस कार्य के लिए सटीक बताया. मोजांबिक में प्रयोगशालाओं में चूहों को प्रशिक्षित करने पर विशेष जोर दिया जा रहा है.

कुत्ता भी कम नहीं…

कुत्तों में मिर्गी के दौरे की पूर्व सूचना देने की क्षमता होती है. एक ब्रिटिश चैरिटी सपोर्ट डॉगके शोध में बताया गया कि मालिक को यदि मिर्गी रोग है तो उसका कुत्ता दौरा पड़ने से 15 से 45 मिनट पहले संकेत देने लगता है. वह पास खड़े किसी अन्य व्यक्ति के पैरों को नाक या पंजे से बार-बार कुरेदता है ताकि वह उसके मालिक की ओर ध्यान दे.

कुत्ता मिर्गी दौरे का पूर्वानुमान कैसे लगाता है, इस बारे में शोधकर्ताओं का कहना है कि वह व्यक्ति के हावभाव में अचानक आए बदलाव को भांप लेता है, इसके अलावा उसकी गंध तथा बोलने के तरीके में आए बदलाव को भी पकड़ लेता है, बस जरूरत है उसे थोड़ा सा प्रशिक्षण देने की.

कबूतर का भी जवाब नहीं…

व्यक्ति की तर्जनी के कोर जितने आकार का दिमाग रखने वाला कबूतर चौंका देने वाली दृश्य स्मृति रखता है. एक शोध में पाया गया कि प्रशिक्षण देने पर उसमें चित्र में स्तन कैंसर पहचानने में मानव जितनी क्षमता और सटीकता पाई गई.

प्रशिक्षित कबूतर रेडियोलॉजिस्ट की तरह स्तन कैंसर पहचान सकते हैं. वे स्वस्थ टिश्यू और कैंसर प्रभावित टिश्यू के बीच अंतर कर सकते हैं.

लार, रिसाव या थूक, कुछ भी कहें. थूक को केवल घिनौना ही समझा जाता है. लेकिन कई जानवर अपने घाव चाटते हैं. ये संक्रमण से बचने को ऐसा करते हैं.

जानवरों की लार में एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं. गाय की लार भी इसमें शामिल है. शोध से साबित हो चुका है कि गाय की लार और दूध में प्रोटीन होता है, जो जीवाणुओं से लड़ने में कारगर है.

इंसान के थूक में भी सूक्ष्मजीव प्रतिरोधक गुण होता है.

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