हाई ब्लड प्रेशर और अन्य पुराने रोगों की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए चीन को सख्ती से नमक का सेवन कम करने की डब्लूएचओ द्वारा लगातार हिदायत दी जा रही है.
वर्ष 2014 में अमेरिकी पत्रिका ‘द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन‘ में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कि दुनिया में प्रति वर्ष लगभग 16.5 लाख हृदय संबंधित रोग से होने वाली मौतों के लिए उच्च सोडियम की खपत को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है.
चीन में वर्ष 2000 के बाद से नमक के सेवन में कमी देखी गई, लेकिन इसके बावजूद उपयोग किया जा रहा नमक विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा सिफारिश की गई मात्रा से दोगुना है.
एक नए शोध में यह जानकारी मिली. इस शोध में वर्ष 2000 और वर्ष 2009-2011 के बीच चीन के 31 प्रांतों में से 12 प्रांतों की कुल 46 प्रतिशत जनसंख्या के आहार का सर्वे किया गया था.
शोधकर्ताओं ने पाया कि चीन के निवासियों के औसत आहार में नमक की खपत 22.2% घट गई है. वर्ष 2000 से यह 11.8 ग्राम प्रति दिन से घटकर वर्ष 2009 तक 9.2 ग्राम दर्ज की गई.
चाइना नैशनल सेंटर फॉर फूड सेफ्टी रिस्क एसेस्मेंट से इस अध्ययन के मुख्य लेखक योंगनिंग वू के अनुसार, "अगर हम वर्तमान गति के साथ आगे बढ़ते रहेंगे, तो संभव है कि चीन विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रस्तावित वर्ष 2025 तक नमक की दैनिक औसत खपत को 30% तक कम करने वाले लक्ष्य को हासिल कर सकता है."
वू बताते हैं कि नमक की तुलना में सोडियम की खपत के मामले में चीनी आबादी लापरवाही कर रही है.
उन्होंने बताया, "चीन में सोडियम की खपत में केवल 12.3% गिरावट दर्ज की गई है. अध्ययनों में सोडियम की खपत प्रतिदिन के हिसाब से 6.4 ग्राम से घटकर 5.6 ग्राम दर्ज की गई. हालाकि,यह दर आशावादी नहीं है."
डब्ल्यूएचओ ने सिफारिश की है कि लोगों को प्रतिदिन पांच ग्राम से कम नमक और दो ग्राम से कम सोडियम का सेवन करना चाहिए.
वू कहते हैं, " वैसे तो चीनी निवासियों की नमक की औसत खपत 10 वर्षों के दौरान काफी घटी है, लेकिन अभी भी यह आदर्श सोडियम सेवन से दूर है."
यह शोध अमेरिकी पत्रिका ‘जेएएमए‘ में प्रकाशित हुआ है.