डॉक्टर्स कहते हैं कि पूरे दिन भले ही आप ठीक से न खाएं लेकिन सुबह का नाश्ता जरुर करें. इसमें कुछ लोग ऑयली खाना पसंद करते हैं, तो कई साधारण नाश्ता करना प्रिफर करते हैं. लेकिन अधिकतर लोग ब्रेड, कॉर्न फ्लेक्स या दलिया जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं. यदि आप भी इनमें से एक हैं तो सावधान हो जाएं….
कई प्रकार का तला-भुना खाना, ब्रेड या कॉर्न फ्लेक्स आपके फेफड़ों के कैंसर का कारण बन सकते हैं.
हालिया हुए एक अध्ययन के अनुसार, व्हाइट ब्रेड, कॉर्न फ्लेक्स और तले-भुने खाने जैसे ग्लाइसेमिक इंडेक्स युक्त भोजन और पेय पदार्थ, फेफड़ों के कैंसर के विकास को बढ़ावा दे सकते हैं.
ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) एक ऐसी संख्या होती है, जो विशेष प्रकार के भोजन से संबंध रखती है. यह व्यक्ति के खून में ग्लूकोज़ के स्तर पर भोजन के प्रभाव को हिंट देती है. जीआई और फेफड़ों के कैंसर के बीच की कड़ी कुछ विशेष प्रकार के सबग्रुप से जुड़ी होती है.
धूम्रपान न करने वालों और स्क्वॉमस सेल कार्सिनोमा (एससीसी) फेफड़ों के कैंसर का सबग्रुप माने जाते हैं.
गोरी त्वचा, हल्के रंग के बालों और नीली, हरी रंग की आंखों वाले लोगों में एससीसी के विकसित होने का खतरा सबसे ज़्यादा होता है.
शोधकर्ताओं ने अध्ययन में करीब 1,905 रोगियों को शामिल किया था, जिन्हें हाल ही में फेफड़ों के कैंसर की शिकायत हुई थी. इस दौरान करीब 2,413 स्वस्थ लोगों का भी सर्वेक्षण किया गया. इसमें प्रतिभागियों ने अपनी पिछली आहार की आदतों और स्वास्थ्य इतिहास की जानकारी दी.
अमेरिकी की यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास के एमडी एंडरसन कैंसर सेंटर से इस अध्ययन के वरिष्ठ लेखक जिफेंग वू ने बताया कि “शोध के दौरान रोज़ जीआई युक्त आहार लेने वालों में जीआई युक्त भोजन न करने वालों की तुलना में फेफड़ों के कैंसर का 49% जोखिम देखा गया”.
आश्चर्यजनक तौर पर कार्बोहाइड्रेट की सीमा मापने वाले ग्लाइसेमिक लोड (जीएल) का फेफड़ों के कैंसर से कोई महत्वपूर्ण संबंध नहीं मिला.
शोधार्थियों का कहना है कि तंबाकू और धूम्रपान का सेवन न करने वालों में भी फेफड़ों के कैंसर के लक्षण मिले हैं. इससे पता चलता है कि आहार का कारक भी फेफड़ों के कैंसर के होने का कारण बन सकता है.
यह शोध ‘कैंसर एपिडेमियोलॉजी बायोमार्कर्स एंड प्रिवेंशन’ जर्नल में प्रकाशित हुआ है.