विज्ञान ने वाकई तरक्की कर ली. जिसका ताज़ा उदहारण है, एक नई विधि जिसकेद्वारास्तन के ट्यूमर को केवल 11 दिन में खत्म करना संभव हो जाएगा.
ब्रिटेन के विज्ञानियों ने स्तन कैंसर की दो दवाओं टीवर्ब और हर्सेप्टिन को मिलाकर प्रयोग किया जिसके चमत्कारी परिणाम सामने आए हैं.
परीक्षण के दौरान 11% महिलाओं का स्तन कैंसर पूरी समाप्त हो गया, 87% में कैंसर कोशिकाओं का निर्माण बंद हो गया. जो बेहद चौकाने वाला था.
शोधकर्ताओं ने नई तकनीक को गेम चेंजर बताया है. दो तरह की तकनीक के इस्तेमाल से लाखों महिलाओं को पीड़ादायक कीमोथेरैपी से भी मुक्ति मिल जाएगी.
तेजी से फैलने वाले कैंसर (एचईआर-2) की शिकार महिला मरीजों पर ब्रिटेन के 23 अस्पतालों में नई थेरैपी से परीक्षण किया गया. इन परीक्षणों से मिले परिणामों से उत्साहित विज्ञानियों ने कहा है कि कैंसर से पीड़ित 17% मरीजों का ट्यूमर अप्रत्याशित रूप से सिकुड़ गया. इनका दो प्रचलित दवाओं को मिलाकर इलाज शुरू किया गया था.
यूनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्टर एवं लंदन के इंस्टीट्यूट के विज्ञानियों की टीम का मुख्य उद्देश्य यह था कि सर्जरी से पहले दवा से ट्यूमर का आकार कुछ कम किया जाए यानी उसमें कुछ सिकुड़न हो. परीक्षण के बाद तथा सर्जरी से पूर्व जब जांच की गई तो चिकित्सकों ने पाया कि कई महिलाओं में कुछ दिन पहले तीन सेंटीमीटर तक का ट्यूमर था उनमें से कुछ मरीजों में वह पूरी तरह गायब हो गया.
शोध का नेतृत्व करने वाले प्रोफेसर निगेल बंड्रेड ने कहा कि 11 दिन में ट्यूमर का गायब हो जाना आज तक नहीं सुना था. परिणाम सभी के लिए चौंकाने वाले हैं. हर्सेप्टिन दवा को डिप से दिया गया और टीवर्ब को टेबलेट के रूप में.
शोध में यह निष्कर्ष भी सामने आया कि दवाओं का कंबीनेशन ठीक हो तो वे असर जरूर करती हैं. यहां भी वही हुआ. यह शोध 66 महिला मरीजों पर किया गया जो तेजी से फैलने वाले कैंसर से पीड़ित थीं.
ब्रिटिश विज्ञानियों ने शोध के परिणाम एम्सटर्डम में यूरोपीय ब्रीस्ट कैंसर कांफ्रेंस में सार्वजनिक किए. उन्होंने बताया कि कैंसर के मरीजों पर इलाज का इतना तीव्र असर पहले कभी नहीं देखा गया.