डायबिटीक मरीजों के ऐसा वायरलेस एप बनाया गया है जो आवश्यकता के अनुसार इंसुलिन शरीर में पहुंचाएगा. जी हां, यह आश्चर्यजनक खोज को ब्रिटेन के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ एंड केयर एक्ससेलेंस ने भी स्वीकृति दे दी है.
यह एप चौबीसों घंटे शरीर में ग्लूकोज की मात्र पर निगरानी रखेगा और आंकड़े हर पल रोगी की आंखों के सामने रहेंगे. सोते या काम करते समय यदि मरीज उसे नहीं देख पाए तो भी चिंता की बात नहीं, निरंतर जागने और इंसुलिन की आपूर्ति के लिए एप जो मौजूद रहेगा.
अच्छी बात यह है कि मरीज को इंसुलिन का इंजेक्शन लगवाने की पीड़ा से मुक्ति मिल जाएगी. इस डिवाइस को ब्रिटेन के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ एंड केयर एक्ससेलेंस ने भी स्वीकृति प्रदान की है.
नई डिवाइस में माचिस के आकार का पतला बॉक्स रोगी के बाजू या पेट पर एडहेसिव से चिपकाया जाएगा. यह पंप का काम करेगा, इसमें इंसुलिन होगी तथा एक पतली ट्यूब शरीर के अंदर डाली जाती है. यह एप से बिना किसी तार के जुड़ा होगा.
एप बनाने वाली कंपनी का दावा है कि यह डिवाइस एक्टिव ट्रैकर का काम करेगा. स्मार्टफोन के आकार का एप सामान्य तरीके से रोगी द्वारा नियंत्रित, निर्देशित किया जा सकेगा, सारे आंकड़े ऑनलाइन भी रहेंगे जो विशेष सलाह लेने के लिए चिकित्सकों को भी दिखाए जा सकेंगे. एक लचीली नली के माध्यम से यह शरीर में अपेक्षित मात्र में इंसुलिन पहुंचाएगा.
डायबिटीज रोग शरीर के पाचन तंत्र पैंक्रियाज में ग्लूकोज को नियंत्रित करने वाले हारमोंस की निष्क्रियता के कारण होता है, इससे इंसुलिन का बनाना बंद या कम हो जाता है. शरीर में ग्लूकोज की मात्र बढ़ जाती है और बीमारी घेर लेती है. नई डिवाइस को पैंक्रियाज के क्रिया तंत्र से जोड़ा गया है. पंप बैटरी चालित है और यह वैक्स इंजन का इस्तेमाल करता है जो आवश्यकता पड़ने पर दबाव व गर्मी पैदा करके इंसुलिन की उचित मात्र शरीर में छोड़ता है.