स्वस्थ जीवनशैली सिखाता है मेडिटेशन

आज जीवन में तनाव काफी बढ़ चुका है. बच्चों को पढ़ाई का तनाव है, तो बड़ों को काम-काज और अन्य घरेलू समस्याओं का दबाव. आगे चल कर तनाव और चिंता कई मानसिक व शारीरिक रोगों का कारण बन जाते हैं. इन समस्याओं से बचने का सबसे अच्छा उपाय मेडिटेशन है. यह ऐसी चिकित्सा पद्धति है, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 17, 2016 9:00 AM
आज जीवन में तनाव काफी बढ़ चुका है. बच्चों को पढ़ाई का तनाव है, तो बड़ों को काम-काज और अन्य घरेलू समस्याओं का दबाव. आगे चल कर तनाव और चिंता कई मानसिक व शारीरिक रोगों का कारण बन जाते हैं. इन समस्याओं से बचने का सबसे अच्छा उपाय मेडिटेशन है. यह ऐसी चिकित्सा पद्धति है, जो सरल व बेहद कारगर है. यह तनाव को दूर कर हमारी मानसिक और शारीरिक क्षमता को बढ़ाता है. हमारे एक्सपर्ट दे रहे हैं इस पर विशेष जानकारी.
एन शेषगिरि
श्री गुरु राघवेंद्र स्कूल ऑफ योग, बसेश्वर नगर, बेंगलुरु
स्वस्थ रहने के लिए व्यायाम और अच्छे खान-पान के साथ ही तनावमुक्त रहना जरूरी है. तनावमुक्त रहने के लिए लोग कई उपाय अपनाते हैं. सबसे अच्छा उपाय मेडिटेशन करना है. तनाव अकेले कई रोगों का कारण बन सकता है. मेडिटेशन दिमाग को शांत रखता है और कई रोगों से बचाता है.
क्या है मेडिटेशन
मेडिटेशन जीवन की एक क्रिया है, जिसके अभ्यास के दौरान मन को चेतना की अवस्था में लाने की कोशिश की जाती है. यह मुख्य रूप से एक यौगिक क्रिया है. हालांकि हर धर्म में यह किसी-न-किसी रूप में मौजूद है. इससे चित्त शांत होता है. ध्यान का अर्थ नींद नहीं है. कहा जाता है कि “निद्रा अचेतन ध्यान है और ध्यान सचेतन निद्रा.” इस दौरान सांस पर ध्यान लगाना होता है. ध्यान सही तरीके से करना जरूरी है. शुरुआत में इसे प्रशिक्षक की देख-रेख में करना चाहिए. आप आॅफिस में भले ही आठ-दस घंटे बिता कर आ रहे हों, मगर मात्र 20 मिनट के ध्यान से आप तरोताजा महसूस करेंगे. इससे दिमाग एकाग्रचित्त होता है. इसलिए एक योगी और सामान्य इनसान के सोच में फर्क होता है.
कैसे करता है मदद
कई अध्ययनों में पता चला है कि तनाव के दौरान शरीर में कई ऐसे हॉर्मोनों का स्राव होता है, जिससे हाइ बीपी की भी आशंका होती है. इसके अलावा भी कई ऐसे हॉर्मोन निकलते हैं, जो शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं. मेडिटेशन से जब दिमाग शांत और तनावमुक्त होता है, तो हॉर्मोनों का स्राव संतुलित होता है और शरीर को फायदा होता है. अध्यात्म के हिसाब से सामान्य रूप में हम लोग दिमाग के इशारे पर चलते हैं. वहीं हम अगर मेडिटेशन का लगातार अभ्यास करें, तो दिमाग हमारे मुताबिक काम करता है. हमें उस पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है. सही और गलत का फर्क आसानी से समझ में आ जाता है. आसान शब्दों में कहा जाये, तो हम दिमाग के दास हैं, मगर मेिडटेशन के बाद दिमाग हमारा दास हो जाता है.
क्या है सही प्रक्रिया
ध्यान का अर्थ सिर्फ आंख बंद करना नहीं है, अपने अंतर्मन की आवाज सुनना जरूरी है. ध्यान करने के लिए माहौल बनाना जरूरी होती है. नहाने के बाद ध्यान करें. इससे ज्यादा ताजगी महसूस होगी. जहां पर मेडिटेशन करना है वहां पर धूप, दीप या अगरबत्ती जला सकते हैं. कभी-कभी इतना वक्त हर किसी के पास नहीं होता है. ऐसे में आराम से किसी शांत जगह पर बैठ जाएं और ढीले कपड़े पहन कर अभ्यास करें. इसके लिए ध्यान को दोनों भवों के बीच केंद्रित करना होता है. कुछ लोग बाेर होकर छोड़ देते हैं, लेिकन इसका लाभ लगातार अभ्यास से होता है. ध्यान के लिए कोई समय निर्धारित नहीं है. खाना खाने के तुरंत बाद ध्यान न करें, इससे नींद आ सकती है. अगर आप सफर में हैं, तो आप मेडिटेशन कर सकते हैं. इस दौरान मन को शांत करके ध्यान लगाएं.
अनेक फायदे
इससे अनेक लाभ हैं. विज्ञान भी इस बात की पुष्टि करता है कि ध्यान से कई रोगों से छुटकारा पाने में सहायता मिलती है. इसके अलावा कई रिसर्च भी चल रहे हैं. निरंतर अभ्यास से दिमाग को गहराई से सोचने की क्षमता मिलती है.
काम का बोझ हर किसी के पास होता है. उसे मेडिटेशन की मदद से बिना किसी चिंता के पूरा किया जा सकता है.
– इससे मानसिक शांति मिलती है – रोग प्रतिरोधी क्षमता का विकास होता है -तनाव कम होता है. -याददाश्त बढ़ती है -बुढ़ापा जल्दी नहीं आता -आत्मविश्वास भी बढ़ता है -रचनात्मकता बढ़ती है -डर और आशंका से मुक्ति मिलती है -आपको थकान भी कम लगती है.

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