डिलिवरी टाइम का पता लगाने के लिए कराएं ‘एमआरआई’

गर्भवती महिलाएं अपने आने वाले बच्चे के समय को जानने के लिए उतावली रहती हैं. कई बार अल्ट्रासाउंड में यह समय ठीक से पता नहीं चल पाता. ऐसे में एमआरआई द्वारा बच्चे के आने का सही समय पता लगाया जा सकता है. मां बनने जा रही महिलाओं को समय से पहले डिलिवरी के बारे में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 28, 2016 1:54 PM

गर्भवती महिलाएं अपने आने वाले बच्चे के समय को जानने के लिए उतावली रहती हैं. कई बार अल्ट्रासाउंड में यह समय ठीक से पता नहीं चल पाता. ऐसे में एमआरआई द्वारा बच्चे के आने का सही समय पता लगाया जा सकता है.

मां बनने जा रही महिलाओं को समय से पहले डिलिवरी के बारे में जानकारी के लिए गर्भाशय क्षेत्र का एमआरआई करवाना चाहिए, क्योंकि इससे अल्ट्रासाउंड की तुलना में ज़्यादा सही परिणाम मिलते हैं.

शोधकर्ताओं ने यह जानकारी दी. गर्भाशय ग्रीवा (यूटरिन सर्विक्स) का टाइम से पहले फैल जाने के कारण समय से पहले डिलवरी होने का खतरा हो सकता है.

गर्भावस्था की दूसरी तिमाही के दौरान अल्ट्रासाउंड में अगर गर्भाशय ग्रीवा का फैलाव 15 मिलीमीटर या उससे कम दिखता है तो उसे समयपूर्व प्रसव के उच्च खतरे की श्रेणी में रखा जाता है.

हालांकि समयपूर्व प्रसव का पहले अनुमान लगाने में अल्ट्रासाउंड की सीमाएं हैं, क्योंकि यह गर्भाशय के टीशूज़ में प्रसव से ठीक पहले के समय में बदलाव की महत्वपूर्ण जानकारी नहीं दे पाता.

शोधप्रमुख स्पींजा विश्वविद्यालय की गेब्रेले मासेली ने बताया, "गर्भावस्था में समयपूर्व प्रसव को समझने के लिए गर्भाशय में बदलाव को ठीक से समझना जरूरी है. इसे दो चरणों में बांटा जा सकता है. एक गर्भाशय का लचीला होना तथा दूसरा उसका फैलना. इसलिए इन दोनों चीजों की सटीक जानकारी से ही समयपूर्व प्रसव का सटीक अनुमान लगाया जा सकता है."

शोधकर्ताओं के अनुसार, एमआरआई से इसकी बेहतर जानकारी मिलती है.

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