प्रेग्नेंसी में दर्द का कारण हो सकता है फाइब्रॉइड
डॉ मीना सामंत प्रसूति व स्त्री रोग विशेषज्ञ कुर्जी होली फेमिली हॉस्पिटल, पटना एक छह माह की गर्भवती महिला को अचानक हुए पेट में तेज दर्द के कारण इमरजेंसी में भरती िकया गया. जांच में पाया गया िक उसका यूटेरस सामान्य से अिधक बड़ा था. उसे होनेवाला दर्द प्रसव का नहीं था. अल्ट्रासाउंड में पाया […]
डॉ मीना सामंत
प्रसूति व स्त्री रोग विशेषज्ञ कुर्जी होली फेमिली
हॉस्पिटल, पटना
एक छह माह की गर्भवती महिला को अचानक हुए पेट में तेज दर्द के कारण इमरजेंसी में भरती िकया गया. जांच में पाया गया िक उसका यूटेरस सामान्य से अिधक बड़ा था. उसे होनेवाला दर्द प्रसव का नहीं था. अल्ट्रासाउंड में पाया गया िक छह माह का शिशु गर्भ में स्वस्थ था. इसके अलावा यूटेरस में 9×8 सेमी का एक बड़ा फाइब्रॉइड भी था.
इस फाइब्रॉइड में कुछ बदलाव (डीजेनरेशन) आये थे. यूटेरस में दर्द फाइब्रॉइड में डीजेनरेशन के कारण ही हो रहा था. इस केस में सबसे पहले मरीज के दर्द को कम करना अधिक जरूरी था. दर्द की दवाओं से दर्द को दबाया गया. आगे की प्रेग्नेंसी ठीक-ठाक रही.
9वें महीने में महिला का प्रसव हुआ और स्वस्थ बच्चे का जन्म हुआ. प्रसव के बाद रक्तस्राव 15-20 दिनों तक चला. उसके बाद सारी चीजें धीरे-धीरे करके नॉर्मल हो गयी. अब वह महिला बिल्कुल स्वस्थ जीवन जी रही है.
बच्चा कमजोर हो सकता है
प्लासेंटा यदि फाइब्रॉइड से ऊपर जमता है, तो उसके ब्लड सप्लाइ में अवरोध पैदा कर सकता है. इससे बच्चा कमजोर हो सकता है. इसके अलावा समय से पहले प्रसव भी होने का खतरा होता है. फाइब्रॉइड की वजह से बच्चा सही पोजिशन नहीं ले पाता है एवं ब्रीच या तिरछा रह जाता है.
कभी-कभी फाइब्रॉइड बच्चे के रास्ते में रुकावट पैदा करता है. ऐसे में नॉर्मल डिलिवरी नहीं हो पाती है. प्रसव के बाद कभी प्लासेंटा निकालने में बाधा आती है तथा रक्त स्राव भी अधिक हो सकता है. यूटेरस के ठीक से सिकुड़ने में भी परेशानी आ सकती है. एलएससीएस के समय फाइब्रॉइड सामने की तरफ रहता है तथा िशशु के जन्म में बाधा उत्पन्न करता है. तब ट्यूमर को भी निकालना पड़ता है. फाइब्रॉइड के कारण अधिक ब्लीडिंग होने की अवस्था में यूटेरस को निकालना भी पड़ सकता है. हालांिक यह मरीज की अवस्था पर निर्भर करता है.
क्या होता है फाइब्रॉइड
फाइब्रॉइड बच्चेदानी का एक कॉमन बिनाइन या नाॅन कैंसरस ट्यूमर होता है. महिलाओं में फाइब्रॉइड का होना एक आम समस्या है. करीब एक चौथाई महिलाओं में यह समस्या हो सकती है. यह हॉर्मोंस से प्रभावित होता है और प्रेग्नेंसी के दौरान आकार में बढ़ भी सकता है. अधिकतर मामलों में इसके कारण िकसी प्रकार की कोई जटिलताएं नहीं आती हैं. इसका पता आमतौर पर िकसी जांच के दौरान चलता है. अनायास ही यूएसजी और सिजेरियन के समय यह दिखाई दे जाता है. कभी-कभी इसके कारण कुछ गंभीर जटिलताएं भी हो जाती हैं, जो इस प्रकार हैं.
फाइब्रॉइड में दर्द होना : आकार बढ़ने के कारण भीतरी हिस्से में ब्लड सप्लाइ में कमी आती है. इससे भीतरी हिस्सा डीजेनरेट करता है तथा दर्द होता है. बुखार व उल्टियां हो सकती हैं. ऐसे में पारासिटामॉल या अन्य दर्द निरोधक दवाएं दी जाती हैं. ऑपरेशन इसका इलाज नहीं है.