स्त्री के द्वंद्व को उघेड़तीं छह खूबसूरत कहानियां

लेखिका नीला प्रसाद का दूसरा कहानी संग्रह है- 40 साल की कुंवारी लड़की. इसमें बेहद खूबसूरत छह कहानियां हैं. नीलाजी ने दाम्पत्य के जटिलताओं और एक स्त्री के मन को लेकर खूबसूरत कहानियां बुनी हैं. ‘’एक विधवा और एक चांद में’’ मान्या की भेंट अपने सहकर्मी अजित से होती है. उसमें कुछ खूबसूरत जज़्बात जग […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 17, 2016 8:37 AM

लेखिका नीला प्रसाद का दूसरा कहानी संग्रह है- 40 साल की कुंवारी लड़की. इसमें बेहद खूबसूरत छह कहानियां हैं. नीलाजी ने दाम्पत्य के जटिलताओं और एक स्त्री के मन को लेकर खूबसूरत कहानियां बुनी हैं. ‘’एक विधवा और एक चांद में’’ मान्या की भेंट अपने सहकर्मी अजित से होती है. उसमें कुछ खूबसूरत जज़्बात जग उठते हैं. “मान्या के दिल के अंदर बसे घर के पांव निकल आये और घर दीवारों समेत दूर चला जाकर एकदम से वो बिला गया कहीं. घर में पति पहले से अनुपस्थित थे, अब वहां उपस्थित बच्चों का लिहाज भी नहीं रहा.

अंदर-अंदर मन के बंधन टूट गये, लगा वही हमेशा मन को बांधे क्यों रहे, जब साथ रहते भी पति ने कभी नहीं बांधा था. “विधवा असल में एक सधवा स्त्री है, पर पति के बार-बार के संवेदनहीन व्यवहार ने उसे खुद को विधवा मनाने पर बाध्य कर दिया है. वह सोचती है, शादी के बाद मैंने अपना सारा प्यार पति पर लुटाया और बदले में उनसे धोखा ही धोखा पाया. उसके द्वंद भी हैं – “क्या घर को छोड़ दूंगी तो कल को बच्चे मुझसे यह पूछेंगे कि मैंने अपने, सिर्फ अपने सुख के लिए घर क्यों छोड़ दिया?”

दूसरी कहानी है “थेथर की झाड़ी”, जिसमें एक मजदूर जोड़ा आलिशान मकान के निर्माण में लगा है. मजदूर की पत्नी को बार बार यह इच्छा जागती है कि उसका भी एक ऐसा मकान हो. मजदूर पति उसकी इस इच्छा को पागलपन समझता है. इस कहानी में थोड़ी आशा दिखायी जा सकती थी कि मजदूर का बच्चा भी पढ़ लिख कर एक दिन फ्लैट खरीद सकता है. मगर सच है कि आशाएं परिस्थितियों की दास नहीं होतीं. उन पर किसी का एकाधिकार नहीं होता.

अगली कहानी है ‘बार्बी डॉल्स’. यह कहानी बताती है कि कैसे हर तबके की स्त्रियां अपने पति के इच्छानुसार खुद को सजाने-संवारने में लगी रहती हैं. सिर्फ पति की खुशी उनकी खुशी है. पति के मन दपर्ण में वे एक राजकुमारी की तरह दिखना चाहती हैं.

अंतिम कहानी है– “चालीस साल की कुंवारी लड़की”. एक एक ऐसी लड़की की कहानी है, जिसकी शादी नहीं हो पा रही है. एक तो माता-पिता ने अंतरजातीय विवाह किया है. दूसरा वह दिखने में भी बहुत अच्छी नहीं. उसकी अन्य काबिलियतें भी उसकी शादी होने में मदद नहीं कर पातीं. उसके सपनों, उसकी कुंठाओं की कहानी है यह. साथ ही ऐसी बेटी के सुख के लिए तरसते माता-पिता की मनोदशा बताती यह बेहद मार्मिक कहानी है.

लेखिका ने बेहद खूबसूरती से इन सभी कहानियों में स्त्री मन में चलनेवाले द्वंद को दिखाने की कोशिश की है. इसकी गहराइयों में उतरते हुए रोचकता बनी रहती है.

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