सामंती प्रथा से मुक्त हैं अमेरिकी होटल

-वाशिंगटन डीसी से हरिवंश- भारत की तरह होटल नहीं है, होटल के कमरे में कोई खाना नहीं पहुंचाता. सुबह नाश्ते के लिए नीचे हॉल में जाना पड़ता है, खाने के लिए बाहर रूम सर्विस यहां नहीं है, होटलों में खाने के लिए बाहर जाना पड़ता है. अपना काम खुद करना है, भारत के होटलों में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 27, 2016 1:43 PM

-वाशिंगटन डीसी से हरिवंश-

भारत की तरह होटल नहीं है, होटल के कमरे में कोई खाना नहीं पहुंचाता. सुबह नाश्ते के लिए नीचे हॉल में जाना पड़ता है, खाने के लिए बाहर रूम सर्विस यहां नहीं है, होटलों में खाने के लिए बाहर जाना पड़ता है. अपना काम खुद करना है, भारत के होटलों में सामंती प्रथा है, समृद्ध या पैसेवाले अतिथियों या राजनेताओं या अफसरों का विशेष ख्याल रखते है. यहां ठीक उलटा है कस्टमर बराबर है. कपड़ा धोना या छोटी-छोटी चीजें लाना है, खुद करें, लाउंड्री है, पर महंगी है फोन है, पर महंगा है, बाहर होटल लॉबी का फोन सस्ता है, क्योंकि आपको खुद डायल करना है.

ड्रिंक्स भी महंगा जहां मनुष्य का श्रम जुड़ा है, वहां कीमत है जहां मशीन या नयी तकनीक आपको अधिकतम सुविधा दे सकती है, वहां उसका प्रबंध है,होटल पहुंचते ही स्मिथ अनुरोध करते है कि हम एक घंटे बाद शाम 7.15 में उनके कमरे में मिलते है, वह तफसील से एक-एक चीज बताते हैं, फोन कैसे कर सकते है. कपड़ा कैसे धुलवाना है, खाने के लिए कहां सुविधा है वीडियो कैसे चलायेंगे ? कैसेट कहां से मिलेंगें ? एक-एक बात, ताकि कोई असुविधा न हो,

होटल पहुंचते ही हमारे नाम से एक-एक पैकेट रखे है, उसमें पूरे कार्यक्रम का ब्योरा है. स्वागत पत्र है हम सबकी संक्षिप्त परिचयात्मक सूचनाएं है अनुरोध है कि इन सूचनाओं में कोई त्रुटि हो तो तुरंत सूचित करें, काम में पूर्णता ( परफेक्शन) है. कोई ढील नहीं, त्रुटि होने देने का स्कोप नहीं समयबद्ध होने के लिए स्मिथ बार-बार कहते है,तो 12.56 न हो, विलंब से आगे के कार्यक्रम प्रभावित होते है.दूसरों का भी समय नष्ट होता है, यहां भारत की परंपरा में कोई विलंब हुए मेहमान का इंतजार नहीं करता, अमेरिकी सरकार के विदेशी दूतावासों में यूनाइटेड स्टेट्स इन्फारमेशन सर्विस विभाग ( यूएसआइएस) काम करता है, अमेरिका में उसका नाम है, युनाइटेड स्टेट्स इन्फारमेशन एजेंसी (यूएसआइए) यूएसआइए ने अमेरिका में हमारे कार्यक्रम को पूर्ण कराने का दायित्व सौंपा है, मेरी डीयन इंटरनेशनल सेंटर की यह स्वयंसेवी संस्था है, अलाभ कर (नान-प्राफिट आर्गेनाइजेशन) इस केंद्र को दायित्व सौंपने के पीछे मकसद है.

अमेरिकी सरकार या उसका कोई विभाग बीच में नहीं आना चाहता, ताकि यात्रा खुले-स्वतंत्र ढंग से हो , राजसत्ता का जहां प्रत्यक्ष हस्तेक्ष होगा, उस पर उसका रंग तो रहेगा,इस कारण स्वंयसेवी स्मिथ को इसी संस्था ने बुलाया है, वह भी पेशे से वकील है. यह संस्था जगह-जगह हमें अमेरिकी नागरिक संगठनों से भी मिलायेगी. स्मिथ बार -बार कहते है कि आप यहां के करदाताओं के पैसे से आये है, इस कारण उनसे आपको मिलाना धर्म है, ताकि वे जान सकें कि उनके पैसे ( कर) का सदुपयोग हो रहा है या दुरूपयोग, सरकारी पैसे ( कर) के प्रति गहरी संवेदनशीलता है, पग-पग पर कोशिश है, दूसरी ओर भारत जैसे गरीब देशों की स्थिति है, जहां सरकारी गठरी में चोर ही चोर लग गये है. टैक्स वसूलना उनका धर्म है, पर सड़क बिजली, पानी, शिक्षा, सुरक्षा देना नहीं हालांकि यह टैक्स इन्हीं चीजों के नाम पर वसूले जाते हैं.

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