कुलपतियों की नियुक्ति

-हरिवंश- विगत तीनों महीनों से बिहार के विश्वविद्यालयों में कुलपतियों के पद खाली पड़े थे. भागवत झा आजाद के आने के बाद दो कुलपतियों, शकीलुर्रहमान और डॉ रामदयाल मुंडा को बरखास्त किया गया था, एक कुलपति ने इस्तीफा दे दिया था, बाकी कुलपति हटाये गये थे. मुख्यमंत्री की राय थी कि पहले बेहाल विश्वविद्यालयों का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 23, 2016 2:06 PM

-हरिवंश-

विगत तीनों महीनों से बिहार के विश्वविद्यालयों में कुलपतियों के पद खाली पड़े थे. भागवत झा आजाद के आने के बाद दो कुलपतियों, शकीलुर्रहमान और डॉ रामदयाल मुंडा को बरखास्त किया गया था, एक कुलपति ने इस्तीफा दे दिया था, बाकी कुलपति हटाये गये थे. मुख्यमंत्री की राय थी कि पहले बेहाल विश्वविद्यालयों का प्रशासकीय ढांचा ठीक किया जाये, तब नये कुलपति बहाल किये जायें. चुनाव नजदीक देख कर इस बीच जातीय आधार पर कुलपतियों की नियुक्ति के लिए तैयारी हो रही थी.
इसी बीच, एक दिन राज्यपाल महोदय ने सरकार के उच्च पदस्थ लोगों से इस संदर्भ में बातचीत की. उन्होंने कुलपति पद के लिए 8-10 नाम बताये. लिस्ट भी बनी. लेकिन राज्य सरकार ने समेकित सूची बनाने की बात कही. मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री और राज्यपाल के बीच भी इस संदर्भ में चर्चा हुई, पर सहमति नहीं हो सकी. तभी 8 दिसंबर को बिहार के विश्वविद्यालयों में सात नये कुलपतियों और तीन प्रतिकुलपतियों की नियुक्ति की घोषणा हो गयी.

इस दिन शाम को मुख्यमंत्री के यहां राजभवन से एक मुहरबंद लिफाफा पहुंचा. शिक्षा मंत्री नागेंद्र झा बोधगया के किसी सम्मेलन में गये थे, वह शाम को लौटे, तो उन्हें भी राजभवन से आया एक सीलबंद लिफाफा मिला. दोनों का मजमून एक था. राज्यपाल महोदय उस दिन दिल्ली में थे. इसके पूर्व ही शाम 7.30 बजे के प्रादेशिक समाचारों में कुलपतियों की नियुक्ति की घोषणा हो गयी थी.

राज्यपाल-सह-कुलाधिपति ने अपने आदेश से डॉ आर के अवस्थी को पटना विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किया. वह विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में कार्यरत थे. आरोप है कि श्री अवस्थी राज्यपाल महोदय के शोध प्रबंध के गाइड रह चुके हैं. रांची विश्वविद्यालय के कुलपति बनाये गये हैं. डॉ लाल साहेब सिंह/श्रीमती इंदु धान मगध विश्वविद्यालय की कुलपति बहाल की गयी हैं. बिहार विश्वविद्यालय के नये कुलपति हैं प्रो शकील अहमद, प्रो जनार्दन कुमार, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति नियुक्त किये गये हैं. डॉ मुनीश्वर झा, कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति बनाये गये हैं. प्रो के के नाग की बहाली भागलपुर विश्वविद्यालय में कुलपति पद पर की गयी है.

इन नियुक्तियों के पूर्व ही मुख्यमंत्री और राज्यपाल के संबंध तनावपूर्ण थे. इस कारण मुख्यमंत्री खेमे के लोगों ने राज्यपाल के इस कदम को मुख्यमंत्री पर खुला प्रहार बताया. इस खेमे का कहना है कि राज्यपाल ने कांग्रेस के विक्षुब्ध नेताओं से परामर्श कर कुलपतियों की नयी सूची तैयार की है. इन लोगों के अनुसार, इन नयी नियुक्तियों में डॉ जगन्नाथ मिश्र और शिवचंद्र झा की उल्लेखनीय भूमिका रही है. डॉ जनार्दन कुमार, डॉ मिश्र के समर्थक बताये जाते हैं. इन नियुक्तियों के तत्काल बाद कांग्रेस के 21 विधायकों ने एक संयुक्त बयान जारी कर राज्यपाल के इस कदम का स्वागत किया. बयान जारी करनेवाले लोगों में एच एच रहमान, एस पी राय, संकटेश्वर सिंह, विनय कुमार चौधरी, बिलट बिहंगम पासवान आदि के नाम हैं.

इनमें से अधिकतर डॉ जगन्नाथ मिश्र के समर्थक हैं. पटना में चर्चा है कि भागवत झा आजाद और नागेंद्र झा के किसी भी समर्थक को कुलपति नहीं बनाया गया है, इसलिए दोनों कुपित हैं. अगले दिन सरकार ने प्रभागीय आयुक्तों को निर्देश दिया गया कि वे नवनियुक्त कुलपतियों को कार्यभार न सौंपें.


इस विवाद से संवैधानिक संकट की स्थिति पैदा हो गयी है. विवाद के सार्वजनिक होते ही राज्यपाल महोदय ने दिल्ली में बताया कि इन नियुक्तियों के पहले उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय और शीला दीक्षित से अनुमोदन लिया था. कानूनन कुलपतियों की नियुक्तियों में इन लोगों की अनुशंसा की कोई आवश्यकता नहीं है. इस आदेश के अगले दिन ही 10 दिसंबर को बिहार विश्वविद्यालय के नवनियुक्त कुलपति शकील अहमद और भागलपुर के नवनियुक्त कुलपति प्रो के के नाग ने कार्यभार संभाल लिया.

राज्य सरकार ने इन दोनों को कार्य करने की अनुमति दे दी. चूंकि ये दोनों अल्पसंख्यक समुदाय के प्रतिनिधि हैं, अत: इनके मामले में सरकार पसोपेश में पड़ गयी. पहले ही शकीलुर्रहमान और डॉ मुंडा की बरखास्तगी में सरकार बदनाम हो चुकी थी. बाकी नियुक्तियों के संदर्भ में राज्य सरकार का रवैया स्पष्ट करेगा कि वह राज्यपाल के साथ कैसा सलूक करना चाहती है.

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