हत्यारे कौन हैं!
-हरिवंश- लोंगोवाल की हत्या पर राज्यसभा में गृहमंत्री का बयान कि ‘संत जी को जो सुरक्षा प्रदान की गयी थी, वैसी व्यवस्था देश में अन्य किसी के लिए नहीं थी.’ बचकाना और अपनी अक्षमता को जाहिर करनेवाला बयान है. संत जी के हत्यारे भी उनके अनुयायियों द्वारा ही पकड़े गये. सरकार को सूचना थी कि […]
-हरिवंश-
इंटेलिजेंस को प्राप्त सूचनाओं के आधार पर पंजाब समझौते के बाद बाहर बसे उग्रवादी बौखला गये. बर्मिंघम में उन्होंने बैठक की व संत लोंगोवाल को एक माह के अंदर मार डालने की योजना बनायी गयी. इस कार्य के लिए भारत के सीमावर्ती देश से भारत में उग्रवादियों को हजारों पौंड की राशि भेजी गयी. दूसरे देशों में स्थित उग्रवादियों ने भी इस कार्य में मदद की. गिरफ्तार आतंकवादियों से पूछताछ के बाद यह भी पता चला है कि इन लोगों को प्रशिक्षण पाकस्तिान से मिला व वहीं से इन्हें दो काम सौंपे गये. उन कामों में स्वर्णमंदिर में ‘ऑपरेश ब्लूस्टार’ के पूर्व की स्थिति पैदा करना तथा दूसरा चुनाव रुकवाना था.
इस कार्य के लिए प्रमुख नरमपंथी अकाली नेताओं की एक लिस्ट भी उग्रवादियों को दी गयी, जिनकी हत्या की जानी है. संत जी को 30 जुलाई को स्वर्ण मंदिर में घुसते समय ही मारने की योजना थी. गिरफ्तार आतंकवादियों ने बताया कि पाकस्तिान में फिलहाल तकरीबन 400 आतंकवादियों को विभिन्न जेलों में रख कर प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इंटेलिजेंस को प्राप्त इन सूचनाओं के बाद भी संत जी के मंच पर किसी सुरक्षाकर्मियों का दूर-दूर तक अता-पता नहीं था.
पंजाब सरकार ने संत जी की हत्या का मामला जांच के लिए सीबीआइ को सौंप दिया है. फिलहाल गिरफ्तार लोगों से पूछताछ के बाद, जो तथ्य सामने आये हैं, उनके अनुसार ज्ञान सिंह, हरबिंदर सिंह (जिन्हें हत्या के आरोप में पकड़ा गया है) को अपराध करने के कुछ घंटों पूर्व अफीम खिलायी गयी थी. संत जी की हत्यावाले दिन सुबह ही उन्हें शेरपुर गांव के पास सुनसान जगह ले जाया गया और वहां पिस्तौल चलाने का प्रशक्षिण दिया गया. उन्हें गोली भरी हुई पिस्तौल दी गयी, क्योंकि पिस्तौल कैसे भरें, यह भी उन्हें मालूम नहीं था. ये दोनों पिस्तौल विदेशी हैं. पुन: इन लोगों को खाना खिला कर संत जी की मीटिंग में बैठा दिया गया. स्पष्ट है, उग्रवादी नये लोगों को प्रशिक्षित कर उनसे काम ले रहे हैं.
तीसरा अभियुक्त जरनैल सिंह फरार हो गया है. वह भिंडरावाले का नजदीकी था. ‘ऑपरेशन ब्लूस्टार’ तक वह स्वर्ण मंदिर में ही रहता था. पंजाब सरकार ने उसके संबंध में सूचना देनेवाले को 1.5 लाख रुपये पुरस्कार देने की घोषणा भी की है.संत लोंगोवाल के भतीजे व निकट सहयोगी सुरिंदर सिंह ने पुलिस में दर्ज कराया है कि ‘जब लोंगोवाल को गोली मार दी गयी, तो जरनैल सिंह वहां से भाग निकला.’ घटनास्थल पर जरनैल सिंह जैसा आतंकवादी निर्मुक्त घूम रहा था, सरकार दावा कर रही है कि उसने संत जी के लिए सर्वश्रेष्ठ सुरक्षा व्यवस्था की थी. प्राप्त सूचनाओं के अनुसार संत जी के मंच पर करीब दो दर्जन आतंकवादी थे.
वे कोई मौका चूकना नहीं चाहते थे. दोनों अभियुक्त पकड़े भी गये, जनता द्वारा. जरनैल सिंह रिवॉल्वर दिखाता हुआ भाग निकला. दूर-दूर तक कहीं सुरक्षाकर्मियों का पता नहीं था. गृह मंत्री ने अपने इस बयान से साबित कर दिया है कि इस सरकार से किसी को सुरक्षा की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए. गृह मंत्री का यह वक्तव्य कि उस गुरुद्वारे के नजदीक, जहां संत जी की हत्या हुई, बाबा जोगिंदर सिंह ने हत्या के चंद घंटों पूर्व ही एक बंद कमरे में बैठक की थी, कितना बेशर्मी से भरा है.
संयुक्त अकाली दल के लोगों ने संत लोंगोवाल के हत्यारों का स्वागत किया है. उन्हें ‘हीरो’ बताया गया व स्वर्ण मंदिर में मिठाई बांटी गयी. जगदेव सिंह तलवंडी ने कहा है कि ‘संत लोंगोवाल के अकाली दल को अपना अस्तित्व समाप्त कर संयुक्त अकाली दल में मिल जाना चाहिए.’ हत्यारों को सुखा सिंह व मेहताब सिंह की उपाधि दी गयी. इन दोनों ने औरंगजेब के समय स्वर्ण मंदिर पर आक्रमण करनेवाले व्यक्ति का सिर कलम किया था. सिखों को इन घटनाओं से सबक लेना चाहिए. संत जी की शहादत अगर व्यर्थ नहीं जाने देना है, तो ऐसे तत्वों के खिलाफ वैचारिक धरातल पर संघर्ष तेज किया जाना अति आवश्यक है.
दिल्ली में ललित माकन एवं उनकी पत्नी की हत्या, जालंधर में डी.डी. खुल्लर की हत्या व गुरुदयाल सैनी पर जानलेवा आक्रमण और अंत में संत लोंगोवाल की हत्या इस तथ्य के प्रमाण हैं कि इस देश में कानून-व्यवस्था खोखली है. जो सरकार संत लोंगोवाल जैसे व्यक्ति की रक्षा नहीं कर सकती. अपने संसद सदस्य को सुरक्षा नहीं दे सकती. पूर्व विधायकों-राजनेताओं को नहीं बचा सकती, उससे आम आदमी क्या उम्मीद कर सकता है?