आधे घंटे व्यायाम से घनी होंगी हड्डियां

डॉ सुदीप कुमार असिस्टेंट प्रोफेसर, हड्डी रोग िवभाग, एम्स, पटना अ स्थियों के वयस्क अवस्था में आने के बाद बोनी टिश्यू की मात्रा को ही पीक बोन मास कहते हैं. बोन मास अस्थियों के उस हिस्से के आयतन और मिनरल्स के घनत्व पर निर्भर करता है. पीक बोन मास का प्रयोग आॅस्टियोपोरोसिस के खतरे का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 19, 2016 12:00 PM
डॉ सुदीप कुमार
असिस्टेंट प्रोफेसर, हड्डी रोग िवभाग, एम्स, पटना
अ स्थियों के वयस्क अवस्था में आने के बाद बोनी टिश्यू की मात्रा को ही पीक बोन मास कहते हैं. बोन मास अस्थियों के उस हिस्से के आयतन और मिनरल्स के घनत्व पर निर्भर करता है. पीक बोन मास का प्रयोग आॅस्टियोपोरोसिस के खतरे का अनुमान लगाने के लिए किया जाता है.
पीक बोन मास लिंग, आनुवांशिकता आदि कई कारकों पर निर्भर करता है. आमतौर पर पुरुषों का पीक बोन मास महिलाओं की तुलना में 30% अधिक होता है. यह उम्र और जीन के आधार पर हर महिला में अलग-अलग हो सकता है. हालांकि, बच्चों में लड़की और लड़के में पीक बोन मास में कोई खास अंतर नहीं है. प्यूबर्टी होने के बाद ही शरीर में बदलाव आता है, जिससे हड्डियों के आकार में परिवर्तन होता है. पुरुषों में हड्डियों का आयतन अधिक होने के कारण ही महिलाओं के पीक बोन मास में अंतर आ जाता है. महिला में पीक बोन मास 25 से 30 वर्ष की उम्र तक पहुंच जाता है.
रोग से हाेता है हड्डियों का क्षय
कई क्रॉनिक डिसआॅर्डर्स के कारण भी हड्डियों का क्षय होता है, जिससे पीक बोन मास कम होता है. हाइपोथायरॉयडिज्म, कुछ प्रकार के कैंसर्स, क्रॉनिक लिवर डिजीज, रुमेटॉयड आर्थराइटिस आदि रोगों के कारण भी महिलाओं के पीक बोन मास पर बुरा प्रभाव पड़ता है. कुछ प्रकार की दवाइयों जैसे-थायरॉयड हॉर्मोन या ग्लूकोकोर्टिकोइड्स के कारण भी हड्डियों का क्षय होता है. जब थायरॉयड कम सक्रिय हो, तो महिलाओं को थायरॉयड हॉर्मोन का सेवन करना पड़ता है.
अस्थमा या अन्य इम्यून सिस्टम से जुड़ी बीमारियों के लिए ग्लूकोकॉर्टिकोइड्स दिया जाता है. ऐसा माना जाता है कि ब्रेस्ट कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर के लिए दी जानेवाली दवाओं से भी पीक बोन मास में कमी आती है. जो लोग अंग प्रत्यारोपण कराते हैं, उन्हें इम्यून सिस्टम को कमजोर करने के लिए दवाइयां दी जाती है. उनसे भी हड्डियों के कमजोर हो सकती हैं. चाय कॉफी से भी हड्डियां कमजोर होती हैं.
बचपन से ख्याल रखना जरूरी
महिलाओं में पीक बोन मास काफी हद तक इस बात पर भी निर्भर करता है कि किशोरावस्था में उनका आहार कैसा था. जो महिलाएं बचपन में ही कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर चीजों का सेवन करती हैं, उनकी हड्डियां अधिक घनी होती हैं.
महिलाओं में मेंसुरेशन के सपोर्ट के लिए काफी कम बॉडी फैट होता है. इसी कारण हड्डियों पर सीधा प्रभाव पड़ता है, जिससे महिलाओं में आॅस्टियोपोरोसिस का खतरा अधिक होता है. शुरू से ही वेट बियरिंग एक्सरसाइज की जाये, तो पीक बोन मास या डेंसिटी को बढ़ाने में सफलता मिल सकती है.
ऐसी एक्टिविटी जो गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध बल लगाने के लिए मजबूर करती है, जैसे-वेट लिफ्टिंग, दौड़ना, टहलना, एरोबिक्स, फुटबॉल व बास्केट बॉल खेलना, जिम्नास्टिक आदि से पीक बोन मास को बढ़ाने में मदद मिलती है. इन एक्सरसाइज को करने से बोन टिश्यू को अधिक निर्मित करने का दबाव पड़ता है.हालांकि जरूरत से ज्यादा एक्टिविटी से एस्ट्रोजेन लेवल में गिरावट आती है, जिससे एम्नेरिया व बोन लॉस का खतरा होता है.

Next Article

Exit mobile version