चिकन पॉक्स का आसान इलाज है होमियोपैथी

II सौरभ चौबे, रांची II चिकन पॉक्स एक संक्रात्मक रोग है. सही समय पर इसका इलाज न हो, तो यह जानलेवा भी हो सकता है. यह मुख्य रूप से 10-12 साल के बच्चों को प्रभावित करता है पर, यह बूढ़े लोगों को भी अपने चपेट में ले आता है. चिकन पॉक्स ‘बेरिसिला’ वायरस के कारण […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 9, 2017 3:02 PM

II सौरभ चौबे, रांची II

चिकन पॉक्स एक संक्रात्मक रोग है. सही समय पर इसका इलाज न हो, तो यह जानलेवा भी हो सकता है. यह मुख्य रूप से 10-12 साल के बच्चों को प्रभावित करता है पर, यह बूढ़े लोगों को भी अपने चपेट में ले आता है. चिकन पॉक्स ‘बेरिसिला’ वायरस के कारण होता है. यह इंफेक्शन के कारण खासने या छींकने से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलता है. एक बार इस रोग के संक्रमण के बाद दूसरी बार इसके होने की संभावना कम हो जाती है. चिकन पॉक्स के विषाणुओं के शरीर में पहुंचने के करीब दो सप्ताह बाद इस रोग के लक्षण रोगी के शरीर में देखने को मिल जाते हैं. यह समय इस रोग की ‘उद्वव अवधि’ कहलाती है. इस रोग में मरीज को शुरुआती दिनों में हल्की सर्दी के साथ बुखार आता है. साथ ही सिर दर्द, बदन दर्द और बेचैनी आदि की भी शिकायतें आती हैं.

दानों को खुजलाएं नहीं: संक्रमण के दो-तीन दिनों बाद ही रोगी की त्वचा पर छोटी-छोटी पानी की बूंद के समान समान दूरी पर दाने निकल आते हैं. कभी-कभी इन दानों के चारों ओर त्वचा का रंग लाल हो जाता है. सबसे पहले यह छाती, पीठ और कमर पर निकलते हैं. उसके बाद रोगी के चेहरे पर भी दिखायी देने लगते हैं. इन दानों में खुजली भी होती है. इसका संक्रमण अन्य लोगों खास कर बच्चों में न फैले इसके लिए रोगी को एक-दो सप्ताह के लिए परिवार के अन्य सदस्यों से दूर रखा जाता है. शरीर पर उभर आये लाल दानों में खुजली करने का दिल होता है, पर उसे खुजलाने से दानों में मवाद भी पड़ सकता है, जो अंत में लंबे समय तक शरीर पर दाग रह जाता है.

होमियोपैथी में है इलाज
होमियोपैथी में इस रोग की प्रतिरोधक दवा है, इसे लेने से संक्रमण की संभावना खत्म हो जाती है. होमियोपैथी में लक्षण के अनुसार दवा लेने से काफी लाभ मिलता है.

बोरियोलिनम : इस दवाई की 30 शक्ति की एक खुराक सप्ताह में लेने से अन्य प्रतिशोधक दवाईयों की आवश्यकता नहीं होती. यह दवाई चेचक और मिजिल्स में भी कारगर होते हैं.

सारासिनिया : यह दवा चिकन पॉक्स में सबसे ज्यादा फायदेमंद है. रोग होने के शुरुआत में ही इसके सेवन से दाने जल्द निकल आते हैं और दानों में पस भी नहीं पड़ता है. 30 शक्ति की दवा सुबह, दोपहर और रात में यह दवा लेने से फायदा मिलता है.

एक्रोनाइट नैप : रोगी को यदि तेज बुखार हो, तेज प्यास लगे, गला सूखने लगे घबराहट, चिंता, हृदय गति का तेज हो जाना, मृत्यु का भय आदि के लक्षण हों तो एक्रोनाइट नैप की 30 शक्ति में सुबह, दोपहर, शाम और रात में एक-एक खुराक से लाभ होता है.

एन्टिम टार्ट : रोगी के दाने जब पूरी तरह नहीं निकलें हों और बुखार, सांस लेने में तकलीफ, गले में खराश जैसे लक्षएा होने पर एन्टिम टार्ट दवाई 30 शक्ति की चार टाइम लेने से चिकन पॉक्स के दाग मिट जायेंगे.
आर्सेनिक एल्बम : रोगी में मानसिक उद्वेग, खुदकुशी करने की इच्छा, सुस्ती, बेचैनी, प्यास लगता, हड़बड़ना, जलन पैदा करनेवाला दर्द और ये लक्षण दोपहर के समय में बढ़ जाने पर आर्सेनिक एल्बम 30 शक्ति की ले सकते हैं. यह सुबह और शाम में लेना चाहिए. इस रोग के लिए यह अचूक दवा है.

बेप्टिसिया टिंओरिया : ऐसे रोगियों को भी तेज बुखार, दस्त की समस्या, रोगी का चुपचाप पड़े रहना, बिना मतलब रोते रहना यदि ऐसे लक्षण हों, तो रोगियों को बेप्टिसिया टिंओरिया 3 एक्स सुबह, दोपहर और रात को एक-एक खुराक देने से काफी लाभ मिलता है.

कैंफर: रोगी के शरीर में अगर दाने निकल कर दब गये हों, तो रोगी का शरीर ठंडा हो जाने पर कैंफर और टिंचर (मूसअर्क) शक्ति में 3-3 बूंद पानी में मिला कर हरेक दो-दो घंटे पर देना चाहिए. इससे काफी फायदा मिलेगा.

सर-टॉक्सिकोडेंड्रन: रोगी को काले रंग के दाने तथा उनके अंदर रक्त हो, पखाने में खून आये, छटपटाहट, शरीर में दर्द, ज्वर, खांसी आदि लक्षण हों, तो रस-टक्स दवा 30 सुबह, दोपहर और रात में लेनी चाहिए.

होमिपैथी विशेषज्ञ डॉ राजीव वर्मा से बातचीत पर आधारित

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