अमेरिका में युवा मां की संख्या में लगातार गिरावट आयी है. अब ज्यादातर महिलाएं 30 साल की उम्र के बाद ही मां बन रही हैं. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि अधिकतर महिलाएं बच्चे के लिए लंबे समय तक इंतजार कर रही हैं. इस वजह से युवा गर्भाधान की दर में लगातार गिरावट आयी है. सेंटर ऑफ डिजीज एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) की रिपोर्ट के अनुसार पिछले तीन दशक से महिलाएं लगभग 20 साल की उम्र में मां बन जाती थीं, लेकिन पिछले वर्ष इसमें बदलाव आया था. पहले एक लाख महिलाओं में 103 महिलाएं ऐसी होती थीं, जो 30 से 34 वर्ष की उम्र में मां बनती थीं और 102 महिलाएं 25 से 29 की उम्र में मातृत्व लाभ प्राप्त कर लेती थीं.
किशोरावस्था में गर्भाधान को रोकने के लिए राष्ट्रीय नीति के प्रमुख बिल अल्बर्ट कहते हैं कि यह तसवीर बदल गयी है. अब महिलाएं किशोरावस्था या आरंभिक युवावस्था में मां बनने से परहेज कर रहीं हैं. उनका फोकस अब जल्दी मां बनने और सांसारिक-पारिवारिक जिम्मेदारियों से खुद को बांधना नहीं है. अब उनकी पहली चिंता अपना करियर है. सितंबर 2016 में जारी एक रिपोर्ट में पाया गया कि किशोर और प्रारंभिक युवावस्था में गर्भाधान की प्रवृत्ति में तेजी से गिरावट आयी है. इसका कारण किशोरों और नवयुवतियों में गर्भ-निरोधक उपायों का बढ़ता प्रयोग है. साल 2007 से 2012 के बीच 15 से 19 वर्ष की उम्र में गर्भाधान की दर में 5.6 प्रतिशत गिरावट आयी थी.
इससे पहले जारी रिपोर्ट में भी बताया कहा गया था कि साल 1991 से 2007 के बीच किशोर गर्भाधान में समान रूप से गिरावट देखी गयी थी. इन रिपोर्टों में इस गिरावट को यौन गतिविधि में आयी कमी को मुख्य कारण बताया गया. सीडीसी की हालिया जारी रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया कि महिलाएं अपने करियर के प्रति सजग हो गयीं हैं.और वे कम उम्र में या जल्दी मां बनने की अपेक्षा करीयर पर ज्यादा ध्यान दे रहीं हैं.
गर्भधारण के प्रति सजग हुईं किशोरियां
सीडीसी की रिपोर्ट के अनुसार किशोरियां अब गर्भधारण से बचती हैं. उनकी नजर में अब उन करियर अहम है. इसलिए अब गर्भ-निरोधक के प्रयोग के प्रति वे ज्यादा सजग हुई हैं. इसमें वहां कह सरकारी एजेंसियों की भी बड़ी भूमिका है, जो इस दिशा में किशोरियों और युवतियों के बीच जागरूकता के प्रसार के लिए काम कर रही हैं. यह रिपोर्ट कोलंबिया विश्वविद्यालय के लौरा लिंडबर्ग, जॉन संतेलि और शीला देसाई ने तैयार किया है. उनका मानना है कि गर्भ-निराेधक के पारंपरिक उपायों का भी युवतियों ने उपयोग किया है और जल्द मां नहीं बनने के प्रति पूरी सतर्कता दिखायी है. उनका मानना है कि इससे जहां आबादी के कम करने में मदद मिल रही है, वहीं महिला स्वास्थ्य में सुधार की दिशा में भी इससे बड़ा लक्ष्य हासिल करना आसान हो जायेगा.