पुण्यतिथि पर विशेष. वीना मजूमदार संसद व विस में महिला आरक्षण की पहली बार उठायी थी मांग

प्रो पदमलता ठाकुर जन्म 28 मार्च 1927निधन 30 मई 2013 वीना मजूमदार महिला सशक्तीकरण के क्षेत्र में युगदृष्टा और युगस्रष्टा थीं. भारत में वीमेन स्टडीज का अध्ययन-अध्यापन शुरू करने की दिशा में उनकी भूमिका को देखते हुए उनका दर्जा महिला अध्ययन आंदोलन की पितामही से कम नहीं आंका जा सकता है. वे प्रख्यात शिक्षाविद्, वामपंथी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 31, 2017 9:51 AM

प्रो पदमलता ठाकुर

जन्म 28 मार्च 1927
निधन 30 मई 2013

वीना मजूमदार महिला सशक्तीकरण के क्षेत्र में युगदृष्टा और युगस्रष्टा थीं. भारत में वीमेन स्टडीज का अध्ययन-अध्यापन शुरू करने की दिशा में उनकी भूमिका को देखते हुए उनका दर्जा महिला अध्ययन आंदोलन की पितामही से कम नहीं आंका जा सकता है. वे प्रख्यात शिक्षाविद्, वामपंथी सक्रियतावादी तथा नारीवादी आंदोलन की अग्रणी थीं.

वे समझती थीं कि महिला आंदोलन की उपलब्धि को उच्च शिक्षा के माध्यम से शाश्वत बनाया जा सकता है. पटना से उनका संबंध बहुत पुराना है. वैसे तो इनकी शिक्षा दीक्षा बनारस, कोलकाता और ऑक्सफोर्ड में हुई, लेकिन उन्होंने अपने अध्यापन करियर की शुरुआत पटना विश्वविद्यालय से की. वे 1951 में पटना विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान की प्राध्यापक नियुक्त हुईं एवं पूटा अर्थात पटना विश्वविद्यालय शिक्षक संघ की प्रथम महिला सचिव बनीं. उन्होंने 1952 में पटना के संगीतज्ञ शंकर मजूमदार से शादी की.

उनकी चार बेटियों में एक इंद्राणी मजूमदार अभी भी महिला विकास अध्ययन केंद्र, नयी दिल्ली तथा अखिल भारतीय महिला अध्ययन संघ की सक्रिय कार्यकर्ता हैं.वीना मजूमदार इन दोनों संस्थाओं की संस्थापक सदस्य थीं. 1947 में वीना मजूमदार भारत में महिलाओं के दर्जे पर बनी समिति की सचिव बनीं, जिसका काम संयुक्त राष्ट्रसंघ के मैक्सिको अधिवेशन में रिपोर्ट भेजने के लिए भारत में महिलाओं की स्थिति का आकलन करना था. वीना मजूमदारएवं उनके सहयोगियों ने भारत की महिलाओं की स्थिति पर जो रिपोर्ट पेश किया, वह टूवार्डस इक्वेलिटी के नाम से प्रकाशित हुआ. इसमें उन्होंने बताया कि 1950 में औरतों को संविधान में हर प्रकार की समानता का अधिकार दिये जाने के बावजूद बड़ी संख्या में ग्रामीण मध्यमवर्गीय महिलाएं विकास में पिछड़ी हुई हैं.

शिक्षा एवं रोजगार के जो अवसर उपलब्ध हुए हैं उनका इस्तेमाल सिर्फ अभिजात परिवार की कुछ महिलाएं ही कर पायी हैं. सन 1970 के दशक से अनेक महिला समूह कोटा सिस्टम की मांग उठाते रहे हैं. समिति ने ग्राम महिला पंचायतों को कानून बनने की शक्ति देने का सुझाव रखा ताकि ग्राम विकास कार्यक्रमों में महिलाएं उपेक्षित न हों. राजनीतिक पार्टियों को भी कहा गया कि वे चुनाव प्रक्रिया का कुछ ऐसा तरीका निकालें कि सभी राजनीतिक इकाइयों में महिलाओं को प्रतिनिधित्व मिल सके. समिति की रिपोर्ट में बताया गया है कि महिलाओं को संवैधानिक सभाओं में 30 प्रतिशत आरक्षण देने से सारे देश में उनका प्रतिनिधित्व हो सकेगा.

प्रो ठाकुर वीमेंस स्टडीज िवभाग एवं यूजीसी वीमेंस स्टडीज सेंटर, पटना विवि की िवभागाध्यक्ष व िनदेशक हैं.

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