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बुल्लोस इम्पेटिगो है संक्रामक रोग

11 महीने की बच्ची को मेरे पास लाया गया, उसके पूरे शरीर पर फोड़े थे, जिनमें पानी भरा था. असहनीय खुजली, बुखार और आस पास की ग्रंथियों में सूजन था. 2-3 दिन के इलाज से वह पूरी तरह स्वस्थ हो गयी. बच्ची को जो बीमारी थी, उसे बुल्लोस इम्पेटिगो कहते हैं. बुल्लोस इम्पेटिगो (bullous impetigo) […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 31, 2017 1:57 PM
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11 महीने की बच्ची को मेरे पास लाया गया, उसके पूरे शरीर पर फोड़े थे, जिनमें पानी भरा था. असहनीय खुजली, बुखार और आस पास की ग्रंथियों में सूजन था. 2-3 दिन के इलाज से वह पूरी तरह स्वस्थ हो गयी. बच्ची को जो बीमारी थी, उसे बुल्लोस इम्पेटिगो कहते हैं.
बुल्लोस इम्पेटिगो (bullous impetigo) त्वचा की बीमारी है, जो नवजात शिशु में बैक्टीरिया के संक्रमण से होती है. यह बेहद संक्रामक है और चेहरे, गरदन, हाथ, पैर और डायपर क्षेत्र पर मवाद से भरे फफोले की तरह दिखता है. लाल घाव आमतौर पर चेहरे पर मुंह के पास दिखायी देते हैं, जिनमें खुजली व दर्द हो सकता है.
कारण : इम्पेटिगो स्टेफिलाकोकास ऑरियस या स्ट्रेटोकोकस पाइजेंस के कारण होता है. संक्रमण त्वचा में हुए छोटे कट, घाव या पहले से मौजूद त्वचा रोग के माध्यम से होता है. मधुमेह और अन्य त्वचा विकार इम्पेटिगो के जोखिम को बढ़ा सकते हैं.
इलाज : उपचार के बिना भी बच्चे आमतौर पर तीन सप्ताह के भीतर ठीक हो जाते हैं. जटिलताओं में cellulitis या poststreptococcal glomerulonephritis शामिल हैं. रोकथाम के लिए साफ-सफाई जरूरी है, जैसे- हाथ धोना, घाव की सफाई, तौलिए, कपड़े साझा न करना, नाखूनों को काटना और साफ रखना आदि.
होम्योपैथिक उपचार : Arsenicum album- दुर्बलता हो. Mezereum- फफोले सिर में रसाव और पपड़ी हो. Rhus Tox- खुजली और छोटे छाले हों. Silicea- दुबला शरीर ,हाथ और पैर ठंडे हों.
Sulphur- अधिकांश मामलों में उपयोगी.

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