10.3 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

80 रोगों में कारगर है यह आसन

मां ओशो प्रिया संस्थापक, ओशोधारा सोनीपत वायु तत्व की अधिकता को 80 रोगों का कारण माना गया है. अधिक वायु जोड़ों के द्रव्य को सुखा देता है. कमरदर्द, सर्वाइकल पीड़ा, गठिया, घुटनों का दर्द, जोड़ों की पीड़ा, एड़ी के दर्द आदि वायु तत्व की अधिकता अथवा वात रोग से होने वाले रोग हैं. वायु मुद्रा […]

मां ओशो प्रिया
संस्थापक, ओशोधारा
सोनीपत
वायु तत्व की अधिकता को 80 रोगों का कारण माना गया है. अधिक वायु जोड़ों के द्रव्य को सुखा देता है. कमरदर्द, सर्वाइकल पीड़ा, गठिया, घुटनों का दर्द, जोड़ों की पीड़ा, एड़ी के दर्द आदि वायु तत्व की अधिकता अथवा वात रोग से होने वाले रोग हैं. वायु मुद्रा इन सभी रोगों में रामबाण है. वात नाड़ी दोनों कलाई के मध्य में स्थित होती है.
तर्जनी वायु तत्व की प्रतीक है, उसे मोड़ कर दबाने से वायु तत्व कम हो जाता है. दरअसल, वायु मुद्रा से इस नाड़ी में बन्ध लग जाता है, जिससे कुपित वायु शान्त होती है और दर्द में आराम मिलता है. कैसा भी वायु रोग हो, इस मुद्रा से ठीक किया जा सकता है. जिन लोगों को बस में यात्रा करते समय उल्टी की शिकायत होती है, उन्हें भी इस मुद्रा के कुछ दिन के अभ्यास से यह परेशानी दूर हो जाती है. पैरों के सुन्नपन, लकवा, आंखों के अकारण झपकने और रुक-रुक कर डकार आने की समस्या भी इस मुद्रा से ठीक होती है. आकस्मिक पीड़ा के कारण यह मुद्रा लगाये जाने की स्थिति में, पीड़ा शान्त होते ही मुद्रा खोल दें.
कैसे करें : तर्जनी को मोड कर अंगूठे की जड़ में लगाएं और अंगूठे से दबाएं. शेष उंगलियों को सीधा रखें. वज्रासन में बैठ कर करने से वायु रोगों में लाभ शीघ्रता से होता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें