वर्ल्ड नो टोबैको डे : ओरल कैंसर का कारण है तंबाकू
डॉ अनूप कुमार एसोसिएट प्रोफेसर, ऑन्कोलॉजी डिपार्टमेंट (रिम्स), रांची भारत में करीब 1.5 लाख लोग सिर्फ खैनी के सेवन से ओरल कैंसर के शिकार होते हैं. इसे ओरो डायजेस्टीव ट्रैक्ट (oro digestive tract) कहा जाता है. तंबाकू मुख्य रूप से मुंह और फेफड़े के कैंसर का कारण होता है. इसके मुख्य कारक खैनी, बीड़ी, सिगरेट, […]
डॉ अनूप कुमार
एसोसिएट प्रोफेसर, ऑन्कोलॉजी डिपार्टमेंट (रिम्स), रांची
भारत में करीब 1.5 लाख लोग सिर्फ खैनी के सेवन से ओरल कैंसर के शिकार होते हैं. इसे ओरो डायजेस्टीव ट्रैक्ट (oro digestive tract) कहा जाता है. तंबाकू मुख्य रूप से मुंह और फेफड़े के कैंसर का कारण होता है. इसके मुख्य कारक खैनी, बीड़ी, सिगरेट, पान मसाला, गुटका आदि हैं.
तंबाकू से ओरल कैविटी होती है, जो जीभ, तालू, ठुड्डी, और टॉन्सिल आदि को प्रभावित करती है और धीरे-धीरे इन जगहों में पहले इन्फेक्शन फैलाती है और फिर उसकी बाहरी परत को गलाने लगती है, जिससे मुंह में छाले, तालू का सफेद या लाल हो जाना जैसे लक्षण दिखने लगते हैं. बाद में यह कैंसर का रूप ले लेता है और परत-दर-परत शरीर के संबंधित भाग को खोखला करता चला जाता है और अंत में उसकी मौत हो जाती है.
सर्जरी इसका उपाय है, पर यह शुरुआती स्टेज में ही पूरी तरह कारगर साबित होता है. इसमें शरीर के संक्रमित हिस्से को काट कर हटा दिया जाता है. मुंह के कैंसर के केस में संक्रमित दांतों को भी हटाया जाता है. इसके बाद करीब तीन से चार हफ्ते तक रेडियोलॉजी और कीमोथेरेपी की जाती है, जिससे व्यक्ति ठीक हो जाता है. हालांकि उसके परिवार की आर्थिक और मानसिक क्षति को पूरा नहीं किया जा सकता है.
ओरल कैंसर के लक्षण :
-छाला(ulcer) : मुंह में पड़ा ऐसा छाला, जो तीन हफ्ते में ठीक न हो.
-धब्बे (patches): मुंह में लाल और सफेद रंग के धब्बे हों.
-गांठ: मुंह में अस्वभाविक गांठ या सूजन हो.