वर्ल्‍ड नो टोबैको डे : तंबाकू का सेवन किसी जहर से कम नहीं

डॉ सोनिया कटारिया स्त्री रोग विशेषज्ञ, कस्तूरबा हॉस्पिटल, नयी दिल्ली तंबाकू ऐसा जहर है, जो सेवन करनेवाले व्यक्ति को धीरे-धीरे मौत की ओर धकेलता है. स्त्री हो या पुरुष शुरू-शुरू में तो शौकिया तौर पर तंबाकू उत्पादों का सेवन करते हैं. लेकिन धीरे-धीरे उनका शौक लत में बदल जाती है. तंबाकू उसके शरीर को धीरे-धीरे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 31, 2017 2:39 PM
डॉ सोनिया कटारिया
स्त्री रोग विशेषज्ञ, कस्तूरबा हॉस्पिटल, नयी दिल्ली
तंबाकू ऐसा जहर है, जो सेवन करनेवाले व्यक्ति को धीरे-धीरे मौत की ओर धकेलता है. स्त्री हो या पुरुष शुरू-शुरू में तो शौकिया तौर पर तंबाकू उत्पादों का सेवन करते हैं. लेकिन धीरे-धीरे उनका शौक लत में बदल जाती है. तंबाकू उसके शरीर को धीरे-धीरे खोखला कर देता है, कई क्रोनिक डिजीज का शिकार बना देता है औैैर अंत मौत से होती है.
तंबाकू के प्रकार : ओरल तंबाकू में गुटखा, जर्दा, पान, खैनी, नसवार या सुंघनी जैसी चीजें आती हैं. वहीं, सिगरेट, इ-सिगरेट, बीड़ी, सिगार, हुक्का के रूप में लोग स्मोकिंग करते हैं. इनमें सबसे ज्यादा खतरनाक है-सिगरेट और बीड़ी. इसके उपयोग से निकोटिन न केवल उस व्यक्ति के शरीर में जाता है, बल्कि इसके धुएं आसपास के लोगों (पैसिव स्मोकिंग) और वातावरण को भी प्रभावित करती है. अध्ययन से साबित हो चुका है कि सिगरेट के 30 फुट के दायरे में आनेवाले लोग भी पैसिव स्मोकिंग की गिरफ्त में आ सकते हैं.
क्यों है खतरनाक : वास्तव में तंबाकू के विभिन्न उत्पादों में निकोटिन होता है, जो ‘निकोटियाना’ प्रजाति के पेड़ के पत्तों को सुखा कर बनाया जाता है. तंबाकू में निकोटिन के साथ कार्बन मोनेाआॅक्साइड , कार्बनडाइआॅक्साइड, टार, नाइट्रोजन, अमोनिया, सल्फर, एल्कोहल जैसे खतरनाक पदार्थ होते हैं. निकोटिन तेजी से मस्तिष्क में पहुंचता है और वहां रिसेप्टर्स को बांधता है.
वहां से निकले हार्मोंस के जरिये यह शरीर के मेटाबाॅलिज्म को प्रभावित करता है और पूरे शरीर में फैल जाता है. ये जहरीले पदार्थ व्यक्ति के शरीर में पहुंच कर उसे कई तरह की बीमारियों का शिकार बनाते हैं. तंबाकू का सेवन इसमें मौजूद कार्बन मोनोआॅक्साइड शरीर में आॅक्सीजन की मात्रा को कम करता है और टार कैंसर पैदा करनेवाले एजेंट का काम करता है.
महिलाएं भी होती हैं शिकार : तंबाकू का सेवन करने में महिलाएं भी पीछे नहीं हैं. भारत की 20 प्रतिशत से अधिक महिलाएं तंबाकू का सेवन करती हैं. इससे ज्यादा तादाद में महिलाएं पैसिव स्मोकिंग की शिकार होती हैं. इससे महिलाओं में बांझपन की समस्या देखने को मिलती है. ओवरी में एग-फॉर्मेशन और उनकी फर्टिलाइजेशन की दर पर भी असर पड़ता है.
निकोटिन के प्रभाव से कई महिलाओं को अनियमित पीरियड्स और प्री-मेच्योर मेनोपाॅज की समस्या भी आती है. इससे ऐसी महिलाएं आमतौर पर मानसिक तनाव से भी ग्रस्त रहती हैं. ओरल तंबाकू और सिगरेट से उनमें गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है. तंबाकू की लत से डायट भी खराब हो जाता है, जबकि गर्भावस्था में परफेक्ट डायट जरूरी होता है.
इसका असर उनके गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी पड़ता है और उसका विकास ठीक नहीं हो पाता. प्री-मेच्योर बेबी होने की संभावना बढ़ जाती है. जब महिलाएं स्मोकिंग करती हैं या पैसिव स्मोकिंग से निकोटिन के संपर्क में आती हैं, तो उनका यूट्रस ठीक तरह विकसित नहीं होता. उनके यूट्रस की मसल्स प्लासेंटा जो भ्रूण की तरफ ब्लड सप्लाइ करती है, उनमें संकुचन हो जाता है और वह भ्रूण में बल्ड कम सप्लाइ होती है. इससे बच्चा कमजोर पैदा होता है या उनमें कई तरह की बीमारियां हो जाती है.

Next Article

Exit mobile version