वर्ल्ड नो टोबैको डे : एक गलती पूरे परिवार के लिए बन सकती है सजा
डॉ दीपांकर बराट सीनियर कंसल्टेंट, मेडिसिन, आरएमआरआइ, पटना केस स्टडी एक निजी कंपनी में एकाउंटेंट का काम करते हैं. दोस्तों के साथ निभाने के लिए शौकिया तौर पर 30 साल की उम्र में खैनी खाना शुरू किया. धीरे-धीरे शौक आदत में बदल गयी और फिर वह दिन भर में 10 बार खैनी का सेवन करने […]
डॉ दीपांकर बराट
सीनियर कंसल्टेंट, मेडिसिन, आरएमआरआइ, पटना
केस स्टडी
एक निजी कंपनी में एकाउंटेंट का काम करते हैं. दोस्तों के साथ निभाने के लिए शौकिया तौर पर 30 साल की उम्र में खैनी खाना शुरू किया. धीरे-धीरे शौक आदत में बदल गयी और फिर वह दिन भर में 10 बार खैनी का सेवन करने लगे. गौरतलब है कि वे सिर्फ खैनी खाते थे (सिगरेट, पान मसाला या गुटका नहीं).
करीब छह माह पूर्व उन्हें ठुड्डी के पास अंदर की तरफ ग्लैंड हुआ. उनकी तकलीफ जब बढ़ने लगी, तो उन्होंने डॉक्टर से दिखाया डॉक्टर ने कैंसर का अंदेशा जताया. तब वे ऑन्कोलॉजिस्ट (कैंसर रोग विशेषज्ञ) के पास गये, बायोप्सी जांच के बाद कैंसर पाया गया. इसके बाद उन्होंने दिल्ली के कई डॉक्टरों से भी दिखलाया, जब पक्का हो गया कि स्टेज-2 का कैंसर है, तो उन्होंने दिल्ली में इसकी सर्जरी करायी, जिसमें पांच लाख रुपये से अधिक खर्च हुए और अब वे राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) रांची में रेडियोलॉजी और कीमोथेरेपी करा रहे हैं. विजय की जान तो बच गयी है, पर आपके आस-पास कई ऐसे विजय हैं, जो कैंसर पर विजय नहीं पा पाते हैं और काल के गाल में समा जाते हैं.
इसलिए तंबाकू हर तंबाकू सेवन करनेवाले लोगों को रोकना और टोकना जरूरी है. तंबाकू का मतलब सिर्फ खैनी नहीं, बीड़ी, सिगरेट, पान मसाला, गुटका आदि भी है. खैनी तो सिर्फ खानेवाले को रोगी बनाता है, धूम्रपान करनेवाले लोग अपने आस-पास के लोगों और बीवी-बच्चे को भी पैसिव स्मोकिंग के जरिये बीमार बनाते हैं. पैसिव स्मोकिंग से भी विश्व में प्रतिवर्ष करीब छह लाख लोग मारे जाते हैं.