आइएस के चंगुल से मुक्त हुई नादिया लौटी घर

कोजो: कूख्यात आतंकी संगठन आइएस के चंगुल से छूटने के तीन साल बाद नादिया उत्तरी इराक में अपने गांव पहुंची. उन्होंने बताया कि यही से तीन साल पहले आइएस ने उसे और कई महिलाओं को उठाया था. इस दौरान आतंकियों ने पुरुषों और महिलाओं को अलग लाइन में खड़ा कर दिया और पुरुषों को गोली […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 3, 2017 12:17 PM
कोजो: कूख्यात आतंकी संगठन आइएस के चंगुल से छूटने के तीन साल बाद नादिया उत्तरी इराक में अपने गांव पहुंची. उन्होंने बताया कि यही से तीन साल पहले आइएस ने उसे और कई महिलाओं को उठाया था. इस दौरान आतंकियों ने पुरुषों और महिलाओं को अलग लाइन में खड़ा कर दिया और पुरुषों को गोली मार दी.

नादिया ने बताया कि बंधक बनायी गयी महिलाओं के साथ सेक्स स्लेव की तरह बर्ताव किया गया. नादिया ने अपने आशु रोकते हुए कहा कि काश हमें पुरुषों की तरह मार दिया गया होता तो इतनी जिल्लत भरी जिंदगी नहीं जीना पड़ता. नादिया ने बताया कि आज उसका गांव कब्रिस्तान बन चुका है जो चारों तरफ से सामूहिक कब्रों से घिरा हुआ है. नादिया मुराद को एक अन्य यजीदी महिला लमिया अली बशर के साथ यूरोपीय संसद की तरफ से सखारोव सम्मान दिया गया है.

24 साल की नादिया को आइएस आतंकी इराक में अपने गढ़ मोसुल ले गये थे. वहां से वह नवंबर 2014 में भागने में कामयाब हो हुई. उन्होंने 2015 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से अपनी दास्तां बयां किया था. तभी से वह यजीदियों के लिए संघर्ष कर रही हैं.

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