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Navratri 2022 7th Day Live Updates: मां कालरात्रि की उपासना से सभी प्रकार की सिद्धि होगी प्राप्त

Navratri Maa Kalratri Puja: अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है. माना जाता है कि मां कालरात्रि की पूजा करने वाले भक्तों को भूत, प्रेत या बुरी शक्ति का भय नहीं सताता. आइए पढ़ते हैं मां कालरात्रि की पूजा विधि और मंत्र के बारे में...

By Anita Tanvi | October 2, 2022 2:06 PM

मुख्य बातें

Navratri Maa Kalratri Puja: अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है. माना जाता है कि मां कालरात्रि की पूजा करने वाले भक्तों को भूत, प्रेत या बुरी शक्ति का भय नहीं सताता. आइए पढ़ते हैं मां कालरात्रि की पूजा विधि और मंत्र के बारे में…

लाइव अपडेट

‘दुर्गा सप्तशती’ में कहा गया है-

विद्या: समस्तास्तव देवि भेदा:,

स्त्रिया: समस्ता: सकला जगत्सु।

त्वयैकया पूरितमम्बयैतत्,

का ते स्तुति: स्तव्यपरा परोक्ति:।।

अर्थात- ‘हे देवी! समस्त संसार की सब विद्याएं तुमसे ही निकली हैं. जगत की समस्त स्त्रियां तुम्हारा ही स्वरूप हैं...’ अतः स्त्री का हर रूप में सम्मान करें.

हर रूप में करें स्त्री का सम्मान

एक लड़की के जन्म से लेकर एक स्त्री, एक मां बनने तक के सफर में वह अन्य कई रिश्तों से गुजरती है. इनमें से उसके हरेक रूप से उससे जुड़े हर रिश्ते की कुछ उम्मीदें होती हैं, जिन्हें पूरा करने का वह भरसक प्रयास करती है. इसके बदले में वह बस इतनी ही अपेक्षा रखती है कि उसके अस्तित्व की रक्षा हो. उसे भले 'देवी' का दर्जा न दें, किंतु उसके अस्तित्व का सम्मान करें.

कालरात्रि को पेठे की दें बलि

देवी कालरात्रि की पूजा-पाठ के दौरान पेठा का भोग लगाना चाहिए. सप्तमी तिथि को देवी कालरात्रि के लिए पेठे की बलि देने से देवी कालरात्रि अति प्रसन्न होती है. मान्यता है कि इससे बल और विजय की प्राप्ति होती. साथ ही आप अगर किसी कानूनी मामलों में फंसे हुए हैं तो उसमें भी विजय प्राप्त होगा.

इस मंत्र का 108 बार करें जाप

मंत्र

ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम: .

ॐ कालरात्र्यै नम:

ॐ फट् शत्रून साघय घातय ॐ

ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं दुर्गति नाशिन्यै महामायायै स्वाहा।

सप्तमी नवरात्रि पर कालरात्रि को ऐसे करें खुश

सप्तमी नवरात्रि पर मां को खुश करने के लिए गुड़ या गुड़ से बने व्यंजनों का भोग लगाना शुभ होता है. अगर आपको भी किसी चीज का भय बना रहता है तो आज मां कालरात्रि का ध्यान करके उनके इस मंत्र का जप अवश्य ही करना चाहिए.

मां कालरात्रि का वाहन गधा है

मां दुर्गा के सातवें स्वरूप की अराधना की जाती है. इस दिन साधक का मन सहस्रार चक्र में स्थित होता है. ये दुष्टों का संहार करती हैं. इनका रूप देखने में अत्यंत भयंकर है लेकिन ये अपने भक्तों को हमेशा शुभ फल प्रदान करती हैं, इसलिए इन्हें शुभंकरी भी कहा जाता है. मां कालरात्रि का वाहन गधा है और इनकी चार भुजाएं हैं, जिनमें से ऊपर का दाहिना हाथ वरद मुद्रा में और नीचे का हाथ अभयमुद्रा में रहता है. जबकि बायीं ओर के ऊपर वाले हाथ में लोहे का कांटा और निचले हाथ में खड़ग है.

मां कालरात्रि का ऐसा है स्वरूप

मां दुर्गा को कालरात्रि का रूप शुम्भ, निशुम्भ और रक्तबीज को मारने के लिए लेना पड़ा था. देवी कालरात्रि का शरीर अंधकार की तरह काला है. इनके श्वास से आग निकलती है. मां के बाल लंबे और बिखरे हुए हैं. उनके गले में पड़ी माला बिजली की तरह चमकती है. मां के तीन नेत्र ब्रह्मांड की तरह विशाल व गोल हैं. मां के चार हाथ हैं, जिनमें एक हाथ में खडग अर्थात तलवार, दूसरे में लौह अस्त्र, तीसरे हाथ अभय मुद्रा में है और चौथा वरमुद्रा में है.

मां कालरात्रि आरती

कालरात्रि जय-जय-महाकाली।

काल के मुह से बचाने वाली॥

दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा।

महाचंडी तेरा अवतार॥

पृथ्वी और आकाश पे सारा।

महाकाली है तेरा पसारा॥

खडग खप्पर रखने वाली।

दुष्टों का लहू चखने वाली॥

कलकत्ता स्थान तुम्हारा।

सब जगह देखूं तेरा नजारा॥

सभी देवता सब नर-नारी।

गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥

रक्तदंता और अन्नपूर्णा।

कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥

ना कोई चिंता रहे बीमारी।

ना कोई गम ना संकट भारी॥

उस पर कभी कष्ट ना आवें।

महाकाली मां जिसे बचाबे॥

तू भी भक्त प्रेम से कह।

कालरात्रि मां तेरी जय॥

मां कालरात्रि पूजा विधि

मां कालरात्रि की पूजा के लिए सुबह चार से 6 बजे तक का समय उत्तम माना जाता है. इस दिन प्रातः जल्दी स्नानादि करके मां की पूजा के लिए लाल रंग के कपड़े पहनने चाहिए. इसके बाद मां के समक्ष दीपक प्रज्वलित करें. अब फल-फूल मिष्ठान आदि से विधिपूर्वक मां कालरात्रि का पूजन करें. पूजा के समय मंत्र जाप करना चाहिए, तत्पश्चात मां कालरात्रि की आरती करनी चाहिए. इस दिन काली चालीसा, सिद्धकुंजिका स्तोत्र, अर्गला स्तोत्रम आदि चीजों का पाठ करना चाहिए. इसके अलावा सप्तमी की रात्रि में तिल के तेल या सरसों के तेल की अखंड ज्योति भी जलानी चाहिए.

मां कालरात्रि ध्यान

करालवंदना धोरां मुक्तकेशी चतुर्भुजाम्।

कालरात्रिं करालिंका दिव्यां विद्युतमाला विभूषिताम॥

दिव्यं लौहवज्र खड्ग वामोघोर्ध्व कराम्बुजाम्।

अभयं वरदां चैव दक्षिणोध्वाघः पार्णिकाम् मम॥

महामेघ प्रभां श्यामां तक्षा चैव गर्दभारूढ़ा।

घोरदंश कारालास्यां पीनोन्नत पयोधराम्॥

सुख पप्रसन्न वदना स्मेरान्न सरोरूहाम्।

एवं सचियन्तयेत् कालरात्रिं सर्वकाम् समृध्दिदाम्॥

मां कालरात्रि स्तोत्र

हीं कालरात्रि श्री कराली च क्लीं कल्याणी कलावती।

कालमाता कलिदर्पध्नी कमदीश कुपान्विता॥

कामबीजजपान्दा कमबीजस्वरूपिणी।

कुमतिघ्नी कुलीनर्तिनाशिनी कुल कामिनी॥

क्लीं हीं श्रीं मन्त्र्वर्णेन कालकण्टकघातिनी।

कृपामयी कृपाधारा कृपापारा कृपागमा॥

मां कालरात्रि कवच

ऊँ क्लीं मे हृदयं पातु पादौ श्रीकालरात्रि।

ललाटे सततं पातु तुष्टग्रह निवारिणी॥

रसनां पातु कौमारी, भैरवी चक्षुषोर्भम।

कटौ पृष्ठे महेशानी, कर्णोशंकरभामिनी॥

वर्जितानी तु स्थानाभि यानि च कवचेन हि।

तानि सर्वाणि मे देवीसततंपातु स्तम्भिनी॥

मां कालरात्रि बीज मंत्र

क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:

बीज मंत्र का जाप एक माला अर्थात 108 बार करे. माँ के बीज मंत्र का जाप करने से व्यक्ति भय मुक्त होता है. दुर्घटना से मुक्ति मिलती है. समाज मे यश एवँ सम्मान को प्राप्त करता है. उन्नति की ओर अग्रसर होता है.

मां कालरात्रि को आज लगाएं गुड़ का भोग

गुड़ का भोग लगाकर उसे ब्राह्मण को दान करने से सभी शोकों से मुक्ति मिलती है और अकस्मात आने वाले संकटों से रक्षा भी होती है.

मां कालरात्रि मंत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

एक वेधी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।

लम्बोष्ठी कर्णिकाकणी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।।

वामपदोल्लसल्लोहलताकण्टक भूषणा।

वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी।।

दुर्गा की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती है. इनके शरीर का रंग घने अंधकार की भाँति काला है, बाल बिखरे हुए, गले में विद्युत की भाँति चमकने वाली माला है. इनके तीन नेत्र हैं जो ब्रह्माण्ड की तरह गोल हैं, जिनमें से बिजली की तरह चमकीली किरणें निकलती रहती हैं.

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