सुनील कुमार झा (रांची). वर्ष 2009 और वर्ष 2014 में हुए विधानसभा चुनावों में राज्य की कुल 43 सीटों पर हार-जीत का फैसला 5000 से कम वोटों से हुआ था. इनमें 26 सीटों पर अगले चुनाव में संबंधित पार्टियों को दूसरी बार जीत नहीं मिली. वर्ष 2009 के चुनाव में कुल 26 विधानसभा सीटों पर हार-जीत का फैसला 5000 से कम वोटों से हुआ था. वर्ष 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में संबंधित पार्टियां इनमें से 15 सीटों पर फिर जीत दर्ज नहीं कर सकी थीं. वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव में जिन सीटों पर हार-जीत का फैसला 5000 से कम वोट से हुआ था, उनमें से 10 सीट पर ही संबंधित पार्टियां लगातार दूसरी बार जीतीं. वहीं, वर्ष 2014 में कुल 17 सीटों पर हार-जीत का फैसला 5000 से कम वोट से हुआ था. वर्ष 2019 के चुनाव में संबंधित पार्टियां इनमें से 11 सीटें हार गयी थीं.
पिछले चुनाव में इन सीटों पर था पांच हजार से कम का अंतर
वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में नौ सीटाें पर हार-जीत का अंतर 5000 से कम वोट का था. इन सीटों पर जीतने व हारनेवाले प्रत्याशियों के बीच कड़ा मुकाबला था. इनमें से कोडरमा, गोड्डा, मांडू, बाघमारा और देवघर में भाजपा प्रत्याशी को जीत मिली थी. नाला व जामा में झामुमो तथा जरमुंडी व सिमडेगा में कांग्रेस को जीत मिली थी. वर्ष 2009 व वर्ष 2014 के चुनाव की तरह अब वर्ष 2019 के चुनाव में 5000 से कम अंतर से हार-जीत वाली सीटों पर दलों की विशेष नजर है.
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