मोतिहारी. सनातन संस्कृति को पुनः स्थापित करने वाले आदि शंकराचार्य की जयंती समारोह का आयोजन गोस्वामी समाज चम्पारण के बैनर तले किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता रंजीत गिरि व संचालन प्रदीप कुमार गिरि ने किया. मुख्य अतिथि पटनदेवी महंत विजय शंकर गिरि ने कहा कि जब सनातन संस्कृति खतरे में था, लोग सनातन संस्कृति में फैले पाखंडवाद के लोग सनातन धर्म को छोड़कर लोग दूसरे धर्म को अपनाने लगे. तब भगवान शंकराचार्य का जन्म हुआ और वेदों का अध्ययन कर अदैत्यवाद के रास्ते पर चलते हुए ज्ञानवाद को अपना कर गोस्वामियो को साथ लेकर पुनः सभी को सनातन संकृति में शामिल किया. सनातन संस्कृति को संभालने के लिए दसनाम गोस्वामियों के मठ परम्परा को आगे बढ़ाते हुए अखंड भारत के चारो दिशाओं में चार मठों की स्थापना किया, जिसके शंकराचार्य को सनातन धर्म का धर्म गुरु माना जाता है. मौके पर सुरेंद्र गिरि, मनोज गिरि, उदय गिरि, उमेश गिरि, बिपिन गिरि, विनय गिरि, जितेंद्र गिरि, कृष्णमोहन चौधरी, अजय गिरि, दुर्गा गिरि, संतोष गिरि, अमोद गिरि, अरुण गिरि, भोला गिरि, रंजन गिरि सहित सैकड़ों गोस्वामी उपस्थित थे.
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